मोंथा चक्रवात से UP के 20 जिलों में फसलों को भारी नुकसान, मिट्टी में नमी बढ़ने से गेहूं बुवाई में देरी
मोंथा चक्रवात की असमय बारिश और तेज हवाओं ने उत्तर प्रदेश के करीब 20 जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. देवीपाटन और बुंदेलखंड क्षेत्र सबसे प्रभावित हैं. धान, तिलहन और मटर की फसल बर्बाद हुई, रबी बुआई में देरी हुई. किसानों को बीमा या सरकार की राहत योजना के तहत मुआवजा मिलेगा.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में आए मोंथा चक्रवात के कारण तेज हवाओं और असमय बारिश ने करीब 20 जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इससे देवीपाटन और बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी जिले प्रभावित हुए हैं. खास बात यह है कि तेज बारिश ने अरहर, तिलहन और धान जैसी खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया है और साथ ही रबी की बुआई को भी प्रभावित किया है. खासकर गेहूं की बुवाई में देरी हो गई है, क्योंकि खेतों में नमी अधिक हो गई है. वहीं, राज्य सरकार ने नुकसान का आकलन करने और प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए सर्वे कराने के आदेश दिए हैं. कृषि विभाग के प्रमुख सचिव रविंदर ने कहा कि कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें खेतों में जाकर नुकसान का सर्वे कर रही हैं. रिपोर्ट के आधार पर नियमों के तहत किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में बहराइच, बाराबंकी, बरेली, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बांदा, झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, कानपुर, मिर्जापुर, वाराणसी और अलीगढ़ शामिल हैं. कृषि निदेशक पंकज त्रिपाठी ने कहा कि देवीपाटन और बुंदेलखंड क्षेत्र इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि असमय बारिश का असर फसलों पर काफी व्यापक है. करीब 20 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हैं, जिनमें देवीपाटन डिवीजन के सभी चार और बुंदेलखंड के लगभग सभी छह जिले शामिल हैं.
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कई जगहों पर खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं
किसानों ने कहा कि कुछ जिलों में कटाई की हुई धान की फसल खुले में पड़ी हुई है, जबकि कई जगहों पर खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. नई मटर की फसल, जो अभी-अभी अंकुरित हुई थी, उसे भी भारी नुकसान हुआ है. जालौन जिले के डकोर गांव के किसान और पूर्व प्रधान अजय राजपूत ने कहा कि कुछ भी नहीं बचा न वो धान जो दो हफ्ते बाद कटने वाली थी, न ही वो हरी मटर जो अभी उगनी शुरू हुई थी. हमारी सारी मेहनत और पैसा बर्बाद हो गया.
मटर के बीज 11,000 रुपये प्रति क्विंटल
अजय राजपूत ने कहा कि मटर के बीज की कीमत करीब 11,000 रुपये प्रति क्विंटल है और एक बीघा में लगभग 40 किलो बीज लगता है. उन्होंने कहा कि अब हमें दोबारा बीज और खाद खरीदकर फिर से बुआई करनी पड़ेगी. जो धान कटाई के लिए तैयार था, अब उसका कोई उपयोग नहीं रह गया. कृषि निदेशक पंकज त्रिपाठी ने कहा कि कई जिलों में खेतों में पानी जमा होने की वजह से अगली फसलें. जैसे गेहूं और मटर की बुआई एक से दो हफ्ते देर से हो सकती है, जब तक मिट्टी की नमी सामान्य नहीं हो जाती. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए दो तरह की मुआवजा योजना है. जिन किसानों की फसलें बीमा योजना के तहत आती हैं, उन्हें बीमा कंपनियों से दावे दर्ज करने के बाद मुआवजा मिलेगा. वहीं, जिन किसानों की फसलें बीमा रहित हैं, उन्हें राजस्व विभाग के सर्वे के आधार पर राज्य सरकार से राहत राशि दी जाएगी.