Pulses Best Varieties : किसानों के बीच पारंपरिक फसलों से अलग हटकर आज के समय में सब्जियों की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है. सरकार भी किसानों को सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहित करती रहती है. रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है, ऐसे में सर्दी के मौसम में बाजार में सब्जियों की मांग बढ़ जाएगी. इस समय सब्जियों की खेती करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. सर्दी के मौसम में खाई जाने वाली सब्जियों में से एक महत्वपूर्ण सब्जी है मटर. वैसे तो मटर की मांग बाजार में हर समय रहती है लेकिन सर्दियों में इसकी खपत ज्यादा हो जाती है. ऐसे में किसान अगर इसकी खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो अगेती मटर की किस्मों का चुनाव तर सकते हैं. अगेती मटर की ऐसी ही एक किस्म है काशी नंदिनी (Kashi Nandini). इस किस्म की खासियत है कि ये कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है.
काशी नंदिनी की खासियत
काशी नंदिनी मटर की एक अगेती किस्म (Early Variety) है, जिसे भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी द्वारा विकसित किया गया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये जड़ सड़न, पाउडरी मिल्ड्यू और झुलसा आदि रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है. अगेती मटर की इस किस्म की खेती से किसानों को समय से पहले फसल मिल जाती है, इस कारण से बाजार में उन्हें अपनी उपज की अच्छी कीमत मिल जाती है. बता दें कि, इसके फल सीधे, गहरे हरे और इसकी फलियों में 8 से 10 दाने वाली होती हैं. खाने में इसके दाने मीठे, कोमल और स्वादिष्ट होते हैं.

मीठे स्वाद के कारण बाजार में रहती है ज्यादा डिमांड (Photo Credit- Canva)
किसानों को कैसे होता है फायदा
अगेती मटर काशी नंदिनी बुवाई के करीब 55 से 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस कारण से किसानों को बाजार में इसकी बिक्री करने पर अच्छी कीमत मिल जाती है. स्वाद में मिठास होने के कारण लोग इसको ज्यादा पसंद करते हैं. फसल के जल्दी तैयार होने के कारण किसानों के खेत दूसरी फसलों के लिए समय से पहले खाली हो जाते हैं. जिनमें किसान अन्य फसलों या सब्जियों की खेती कर सकते हैं. क्योंकि मटर की ये अगेती किस्म रोगों के प्रति सहनशील होती है इसलिए इससे मिलने वाली उपज जल्दी खराब नहीं होती, साथ ही पैदावार उन्नत क्वालिटी की होती है.
ऐसे करें खेती की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगेती मटर काशी नंदिनी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. खेत की तैयारी करते समय ही मिट्टी में 15 से 20 टन गोबर की खाद डालें. इसके बाद बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें. बता दें कि. प्रति हेक्टेयर फसल के लिए 50 से 60 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. फसल को पहली सिंचाई बीज बुवाई के तुरंत बाद ही दें. इसके बाद जरूरत पड़ने पर हर 15 से 20 दिन के अंतर पर पौधों को पानी दें. किसानों को ध्यान रखना होगा कि फूल आने और फली बनने की अवस्था में नमी बनाए रखना जरूरी है.
पैदावार और तुड़ाई का सही समय
काशी नंदिनी की खेती के लिए 15 अक्टूबर से 5 नवंबर तक का समय सही माना जाता है. इसकी फलियां बुवाई के 55 से 60 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती हैं. बात करें मटर की इस अगेती किस्म की खेती से मिलने वाली पैदावार की तो किसान इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से करीब 100 से 120 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. बता दें कि, मटर की तुड़ाई के लिए सुबह या शाम का समय ही चुनें जब फलियां कोमल होती हैं.