धान घोटाला मामले में बड़ा एक्शन, अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा.. जांच के लिए SIT टीम गठित
हरियाणा में धान खरीद घोटाले की जांच के लिए करनाल एसपी ने डीएसपी की अगुवाई में SIT बनाई है. आठ मंडियां जांच के दायरे में हैं. फर्जी गेट पास और झूठी एंट्रियों से सरकार को नुकसान हुआ. साइबर विशेषज्ञ बैंकिंग ट्रेल खंगाल रहे हैं, जबकि बीकेयू ने गिरफ्तारी की मांग की है.
Haryana Paddy Procurement: हरियाणा धान खरीद में बड़े घोटाले के आरोपों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. करनाल के एसपी गंगाराम पूनिया ने घोटाले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई है. इस टीम की अगुवाई एक डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे. टीम में CIA-2 के सदस्य, संबंधित थानों के अधिकारी और साइबर विशेषज्ञ शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही इस घोटाले के पीछे के पूरे नेटवर्क का पता लगा लेंगे.
एसपी पूनिया ने कहा कि तीन एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और SIT अब उन सभी लोगों की भूमिका की जांच करेगी जो इन मामलों में शामिल हैं या जिनका नाम सामने आ सकता है. उन्होंने कहा कि चूंकि आरोप गेट पास जारी करने के बावजूद धान की वास्तविक आवक न होने से जुड़े हैं, इसलिए साइबर विशेषज्ञों की मदद जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने डिवाइस और IP एड्रेस इस्तेमाल हुए.
सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक तीन एफआईआर दर्ज हुई हैं जिनमें दो मार्केट कमेटी सचिव (करनाल और तरावड़ी), एक राइस मिल मालिक और पांच खरीद अधिकारी शामिल हैं. अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि धान की झूठी एंट्रियां की गईं. यानी रिकॉर्ड में दिखाया गया कि धान मंडी में आया, जबकि असल में नहीं आया जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ.
अधिकारियों ने अब धान खरीद के पूरे जाल की जांच शुरू कर दी है. इसमें किसान पंजीकरण से लेकर (‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर), गेट पास जारी करने और फर्जी भुगतान तक की पूरी प्रक्रिया की जांच की जा रही है. जांच का मकसद यह पता लगाना है कि किन आढ़तियों की दुकानों से ये फर्जी एंट्रियां की गईं, किन सरकारी एजेंसियों ने खरीद की प्रक्रिया संभाली और किस राइस मिल को यह धान दिखाया गया.
ज्यादा धान की आवक दर्ज की गई
अब तक आठ मंडियां करनाल, घरौंडा, असंध, तरावड़ी, इंद्री, निसिंग, निगधू और जुंडला जांच के दायरे में आई हैं, क्योंकि इन जगहों पर इस साल 4 नवंबर तक पिछले सीजन के मुकाबले कहीं ज्यादा धान की आवक दर्ज की गई है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि सिस्टम के अंदर बैठे कुछ लोगों ने मिलीभगत करके खरीद प्रक्रिया में मौजूद खामियों का फायदा उठाया. बताया जा रहा है कि फर्जी गेट पास बड़ी संख्या में जारी किए गए, ताकि ऐसा लगे कि मंडियों में धान की भारी आवक हो रही है. एक एफआईआर में यह भी पाया गया कि कई गेट पास अलग-अलग IP एड्रेस से हैं, जो मंडी से बाहर के थे और जारी किए गए.
फर्जी खरीद का पैसा आखिर गया कहां
अधिकारियों ने अब बैंकिंग रिकॉर्ड की भी जांच शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी खरीद का पैसा आखिर गया कहां. साइबर एक्सपर्ट इन संदिग्ध लेनदेन की जांच कर रहे हैं, ताकि असली लाभार्थियों का पता चल सके. इस बीच, बीकेयू (सर छोटूराम) के प्रवक्ता बहादुर मेहला बलदी ने एफआईआर में नामजद अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी और गबन की रकम की वसूली की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन प्रदर्शन शुरू करेगा.