Guava cultivation: अब किसान धान-गेहूं जैसी फसलों के बजाए बागवानी में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, क्योंकि इसमें पारंपरिक फसलों के मुकाबले ज्यादा मुनाफा है. ऐसे भी केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी बागवानी को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग बागवानी फसलों पर सब्सिडी भी मिल रही है. ऐसे में किसान फलदार फसलों की खेती ज्यादा कर रहे हैं. अगर आपके पास अमरूद का बाग है, तो ये खबर आपके लिए बहुत काम की है. क्योंकि आज हम कुछ बातों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही अमरूद के पेड़ फलों से लद जाएंगे.
पेड़ों की कटिंग करने के फायदे
दरअसल, इन दिनों यूपी सहित कई राज्यों में ‘पिंक ताइवान’ किस्म के अमरूद का रकबा तेजी से बढ़ रहा है. यह किस्म किसानों को अच्छा मुनाफा दे रही है. एक्सपर्ट के मुताबिक, अक्टूबर का महीना पिंक ताइवान अमरूद के बागों के लिए बेहद अहम होता है. इस समय पेड़ों की कटिंग (छंटाई) करना जरूरी होता है, ताकि अगली फसल बेहतर और अधिक मिल सके. छंटाई करते समय खास ध्यान दें कि सिर्फ उन शाखाओं को काटें, जिन पर पहले फल आ चुके हैं. इससे पेड़ में नई टहनियां और कल्ले निकलते हैं, जो आगे चलकर ज्यादा फूल और फल देते हैं. इस तकनीक से न सिर्फ उत्पादन बढ़ता है, बल्कि पेड़ का विकास भी संतुलित रहता है और बीमारियों का खतरा भी कम होता है. साथ ही सही समय पर की गई कटिंग किसानों को अगले सीजन में बेहतर और बंपर फसल का फायदा दिला सकती है.
कितनी मात्रा में डालें खाद
पिंक ताइवान अमरूद के बाग में कटिंग के साथ-साथ पेड़ों की अच्छी ग्रोथ और ज्यादा फल पाने के लिए सही उर्वरक प्रबंधन बहुत जरूरी है. कटिंग के तुरंत बाद जब पेड़ में नए कल्ले और शाखाएं निकलने लगती हैं, तो उन्हें नाइट्रोजन की ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में किसान एन.पी.के. का संतुलित मिश्रण जैसे 19:19:19 या 20:20:20, या फिर यूरिया का हल्का घोल पेड़ों की जड़ों से थोड़ी दूरी पर डाल सकते हैं. इससे पौधे को पोषण मिलेगा और ग्रोथ तेज होगी.
इस कीटनाशक का करें छिड़काव
वहीं, कटिंग से पेड़ में जो घाव होते हैं, उन्हें फंगल संक्रमण से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड फफूंदनाशक का छिड़काव करना चाहिए. साथ ही, पेड़ की गुणवत्ता और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाने के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्व) का छिड़काव भी फायदेमंद होता है. इसके अलावा पौधों की लंबी उम्र की ग्रोथ और मिट्टी को सेहतमंद बनाए रखने के लिए किसान अक्टूबर महीने में सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद को मिट्टी में मिला सकते हैं. यह जैविक खाद धीरे-धीरे पौधों को पोषक तत्व देती रहती है और मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करती है. अगर आप जैविक खेती कर रहे हैं तो नीम की खली और बायो-फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल करें. इससे पौधों की जड़ें मजबूत होंगी और ग्रोथ भी तेज होगी. ये उपाय फसल को सेहतमंद और टिकाऊ बनाने में काफी असरदार हैं.