Paddy scam: हरियाणा में धान घोटाले के मामले सामने आए हैं. ऐसे इस खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 62.13 लाख मीट्रिक टन धान की सरकारी खरीद दिखाई गई, जो राज्य में अब तक की सबसे ज्यादा बताई जा रही है. लेकिन इसके बाद व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए. क्योंकि कई जिलों में कागजों में फर्जी खरीद के मामले सामने उजागर हुए हैं. इसकी पहली बड़ी कड़ी करनाल में खुली, जहां 6 FIR दर्ज हुईं और 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई. जांच में पता चला कि जो धान मंडियों तक पहुंचा ही नहीं, उसे भी खरीदा हुआ दिखाया गया था, जिससे एक संगठित घोटाले का खुलासा हुआ.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, घोटाले का रहस्य तब और गहरा गया जब फतेहाबाद पहली बार राज्य में धान खरीद में सबसे ऊपर आ गया. यहां पिछले साल की तुलना में करीब 40 फीसदी ज्यादा खरीद दर्ज की गई, जबकि फतेहाबाद परंपरागत रूप से कपास उगाने वाला जिला है, न कि धान का बड़ा इलाका. इस वजह से सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठने लगे. जानकारों के मुताबिक, फतेहाबाद में बारिश से 7,541 एकड़ फसल को नुकसान हुआ था, जिसके बदले 3,372 किसानों को 8.23 करोड़ रुपये मुआवजा दिया गया. वहीं, धान बहुल जिलों कैथल और करनाल में फसल नुकसान का आंकड़ा काफी कम रहा. किसान नेता संदीप सिवाच ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया.
व्यापारी के पास करीब 20 हजार धान के कट्टे मिले
संदीप ने कहा कि फतेहाबाद के गोरखपुर गांव में खरीद शुरू होने से पहले ही एक चावल व्यापारी के पास करीब 20 हजार धान के कट्टे मिले थे, लेकिन उस पर सिर्फ 2.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया. सिवाच ने कहा कि किसी भी गणित से फतेहाबाद का धान खरीद में टॉप करना संभव नहीं है, खासकर तब जब यहां बारिश से फसल नुकसान के आंकड़े भी सामने आए हैं. सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम कंवर के अनुसार यह घोटाला नया नहीं है. उन्होंने कहा कि फर्जी खरीदी पिछले करीब 20 साल से चल रही है, जिसमें आढ़तियों, खरीद एजेंसियों के अधिकारियों और राइस मिलरों का एक संदिग्ध नेटवर्क शामिल है. इससे हर साल सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता रहा है.
नकली एंट्री, बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया
डॉ. कंवर ने कहा कि इस बार यह घोटाला इसलिए सामने आया, क्योंकि देर से कटाई, बाढ़, भारी बारिश और बीमारियों से फसल प्रभावित होने के बावजूद धान की आवक असामान्य रूप से ज्यादा दिखाई गई. घोटाले का तरीका सीधा था- फर्जी गेट पास, नकली एंट्री, बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया स्टॉक और कागजों में ही धान की खरीद. इससे राइस मिलरों को सरकारी आवंटन मिल गया और बाद में वे घटिया या हेराफेरी वाला चावल, यहां तक कि पीडीएस से निकला अनाज भी कस्टम मिल्ड राइस के तौर पर सप्लाई कर देते थे. जब किसान नुकसान से जूझ रहे हैं, तब साल के अंत में यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि बाढ़ से तबाह मौसम में रिकॉर्ड पैदावार आखिर कैसे हुई.