खेती को लेकर अक्सर कहा जाता है कि यह घाटे का सौदा है, लेकिन अगर किसान वैज्ञानिक तकनीक और सही तरीके से खेती करे तो यही खेती सोने की खान साबित हो सकती है. इसका जीता-जागता उदाहरण मध्य प्रदेश के देवास जिले के ग्राम पोलायजागीर गांव के एक छोटे किसान ने पेश किया है. जिनका नाम लक्ष्मीनारायण है. कभी मुश्किल से घर का खर्च चलाने वाले इस किसान ने अब आधुनिक तकनीक अपनाकर अपनी किस्मत बदल ली है. आज उनकी सालाना कमाई 7 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है और परिवार का जीवन स्तर भी काफी बेहतर हो गया है.
परम्परागत खेती से मुश्किल था गुजारा
लघु किसान लक्ष्मीनारायण के पास करीब 1.79 हेक्टेयर जमीन थी. शुरूआती दिनों में वह पारंपरिक तरीके से खेती करते थे. नतीजा यह रहा कि मुश्किल से परिवार का खर्च निकल पाता था. खेती से न तो ज्यादा उत्पादन मिल रहा था और न ही आमदनी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कृषि विशेषज्ञों से संपर्क किया.
वैज्ञानिक खेती से बदली तस्वीर
साल 2017-18 में लक्ष्मीनारायण ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर रिजबेड पद्धति से खरीफ में सोयाबीन और रबी में चना बोया. उन्हें प्रति हेक्टेयर 27 क्विंटल सोयाबीन और 38 क्विंटल चना का उत्पादन मिला. यह उनके लिए पहली बड़ी सफलता थी. इसके बाद उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक अपनाई. साथ ही जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक का प्रयोग शुरू किया. नीम, तंबाकू, गौमूत्र, छाछ और पत्तों के अर्क से तैयार दवाओं का उपयोग कर उन्होंने रासायनिक दवाइयों पर खर्च भी घटा दिया.
गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार
खेती में वैज्ञानिक पद्धति का परिणाम यह हुआ कि उन्हें गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार मिली. उच्च गुणवत्ता वाले बीज और सही पोषण प्रबंधन के कारण प्रति हेक्टेयर 109 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ. यह उत्पादन सामान्य पैदावार से कहीं ज्यादा था. इसके बाद चना और सोयाबीन में भी उन्होंने शानदार नतीजे पाए. खेती में मेहनत और तकनीक का सही मेल करके किसान ने अपनी पहचान बना ली.
नई तकनीक और नवाचार का सहारा
वर्तमान समय में लक्ष्मीनारायण ने गुजरात और महाराष्ट्र की आधुनिक तकनीक भी अपनाई है. सोयाबीन, गेहूं और चना बोने के साथ-साथ उन्होंने अपने खेत में एक तलाई का निर्माण भी करवाया है. इसमें वह जल्द ही मछली पालन शुरू करने जा रहे हैं. खेती से मिली सफलता के बाद अब वे बीज उत्पादन का भी काम कर रहे हैं. विभिन्न फसलों की नई किस्मों के आधार बीज तैयार कर वे अन्य किसानों और कंपनियों को बेचते हैं. इस तरह उनकी आमदनी के नए साधन भी बन गए हैं.
बदल गया जीवन स्तर
खेती में सुधार का असर सीधे किसान के जीवन स्तर पर दिखाई दे रहा है. अब लक्ष्मीनारायण हर साल करीब 7 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने 16 लाख रुपये की लागत से नया मकान बनवाया है. बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और उनकी सालाना फीस एक-एक लाख रुपये है. खास बात यह है कि अब वे खाद और दवाइयों के लिए बाजार पर निर्भर नहीं हैं. खेत की नरवाई को जलाने के बजाय वहीं सड़ने देते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर हो रही है.
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