उज्बेकिस्तान के विशेषज्ञों ने छत्तीसगढ़ की कृषि तकनीक को सराहा, छात्रों और किसानों को मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ की धान की अनोखी जैव विविधता और वैज्ञानिक तकनीक अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचानी जा रही है. इस प्रकार के सहयोग से राज्य में कृषि अनुसंधान को नया आयाम मिलेगा, किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और राज्य की कृषि प्रणाली और अधिक टिकाऊ व आधुनिक बनेगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 23 Aug, 2025 | 03:18 PM

छत्तीसगढ़ के धान की विविधता और आधुनिक उत्पादन तकनीक ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है. दरअसल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में आयोजित एक विशेष संगोष्ठी में उज्बेकिस्तान के प्रोफेसर ओयबेक रोज़िव और उनकी टीम ने भाग लिया. इस अवसर पर दोनों देशों के विशेषज्ञों ने कृषि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं.

इस समझौते के तहत दोनों संस्थान कृषि, पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन, औषधीय पौधों के उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान करेंगे. इससे विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा और शोध के अवसर मिलेंगे. कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि यह सहयोग केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की कृषि तकनीक को विश्व मंच पर पहचान दिलाने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

धान की जैव विविधता ने किया प्रभावित

उज्बेकिस्तान के डेनाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरप्रेन्योरशिप एंड पेडागॉजी के रेक्टर प्रो. रोज़िव ने बताया कि छत्तीसगढ़ के धान की अनोखी जैव विविधता और उन्नत उत्पादन पद्धतियां उनकी टीम के लिए बेहद प्रेरणादायक हैं. उन्होंने कहा कि उनके संस्थान के वैज्ञानिक अध्ययन भ्रमण के लिए भारत आए हैं और यह यात्रा उन्हें कृषि अनुसंधान और आधुनिक तकनीकों को समझने का अवसर दे रही है.

कृषि मंत्री से मुलाकात

अध्ययन दल ने कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री रामविचार नेताम से भी सौजन्य मुलाकात की. प्रो. रोज़िव ने भारत और ताशकंद के तीन हजार वर्ष पुराने ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कृषि और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी और मजबूत हो सकती है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व

इस सहयोग से न केवल वैज्ञानिक और शैक्षणिक स्तर पर अनुसंधान होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों को नई तकनीक और आधुनिक खेती के तरीके सिखाने में भी मदद मिलेगी. इससे उनकी पैदावार बढ़ेगी और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार आएगा. वहीं, विश्वविद्यालय के छात्रों को वैश्विक स्तर का अनुभव और प्रशिक्षण मिलेगा, जो उन्हें भविष्य में कृषि और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने में सक्षम बनाएगा.

भविष्य की संभावनाएं

छत्तीसगढ़ की धान की अनोखी जैव विविधता और वैज्ञानिक तकनीक अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचानी जा रही है. इस प्रकार के सहयोग से राज्य में कृषि अनुसंधान को नया आयाम मिलेगा, किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और राज्य की कृषि प्रणाली और अधिक टिकाऊ व आधुनिक बनेगी.

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