देश के कई गर्म इलाकों में पोल्ट्री फार्मिंग करना किसानों के लिए मुश्किल होता है, खासकर अंडे का उत्पादन कम होने की वजह से. लेकिन अब इस समस्या का समाधान मिलने वाला है. केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI), इज्जतनगर के वैज्ञानिक एक खास क्लाइमेट चैंबर विकसित कर रहे हैं, जो गर्म इलाकों में मुर्गियों के लिए उपयुक्त तापमान बनाएगा. इससे मुर्गियां ज्यादा अंडे देंगी और पोल्ट्री फार्मरों की आमदनी बढ़ेगी. आइए जानते हैं इस नई तकनीक और शोध के बारे में विस्तार से.
ठंडे इलाकों की मुर्गियां क्यों ज्यादा देती हैं अंडे?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पहले जान लेते हैं कि ठंडे इलाकों में रहने वाली मुर्गियां जैसे लेह-लद्दाख की प्रजातियां ज्यादा अंडे क्यों देती हैं. ठंडे वातावरण में इनके शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे अंडा उत्पादन अच्छी मात्रा में होता है. लेकिन जब इन्हें गर्म इलाकों में ले जाया जाता है, तो तापमान बढ़ने से इन मुर्गियों के शरीर में बदलाव आते हैं और अंडे कम देने लगती हैं. यही वजह है कि गर्म इलाकों के पोल्ट्री फार्मर अपने अंडे उत्पादन से संतुष्ट नहीं होते.
CARI का नया शोध और क्लाइमेट चैंबर
CARI के वैज्ञानिक अब इस समस्या का समाधान खोजने में लगे हैं. वे यह पता लगाएंगे कि गर्म इलाकों में मुर्गियों के शरीर में कौन-कौन से बदलाव होते हैं, जो अंडा उत्पादन को प्रभावित करते हैं. इसके लिए वे एक क्लाइमेट चैंबर बनाएंगे, जो 0 से 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान को नियंत्रित कर सकेगा. इसमें मुर्गियों को रखकर उनके शरीर के तापमान और शारीरिक बदलावों का अध्ययन किया जाएगा.
क्लाइमेट चैंबर से क्या फायदा होगा?
यह क्लाइमेट चैंबर गर्म इलाकों में भी मुर्गियों को ठंडे प्रदेशों जैसा अनुकूल वातावरण देगा. इससे मुर्गियां तनाव मुक्त रहेंगी और उनका अंडा उत्पादन बढ़ेगा. शोध के बाद इस तकनीक को पोल्ट्री फार्मों में लागू किया जाएगा, जिससे गर्म इलाकों के किसान भी अधिक अंडे उत्पादन कर पाएंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी. यानी यह तकनीक पूरे पोल्ट्री उद्योग के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है.
CARI द्वारा विकसित नई मुर्गी प्रजातियां
CARI ने पहले ही कुछ ऐसी मुर्गी प्रजातियां तैयार की हैं, जो सामान्य से ज्यादा अंडे देती हैं. उदाहरण के लिए, कैरी सोनाली और कैरी प्रिया. ये प्रजातियां सालाना 250 से भी ज्यादा अंडे देती हैं. लेकिन गर्मियों में इनकी अंडा देने की क्षमता घटकर 50% से भी कम हो जाती है. नए शोध के बाद, उम्मीद है कि ये प्रजातियां गर्मी में भी अधिक अंडे देंगी, जिससे किसान साल भर भरपूर लाभ कमा सकेंगे.
पोल्ट्री फार्मरों के लिए अवसर
इस नई तकनीक और मुर्गी प्रजातियों की मदद से पोल्ट्री फार्मरों के लिए नए अवसर खुलेंगे. पहले गर्मी के मौसम में अंडे की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन अब गर्मी में भी उत्पादन बढ़ने से किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकेंगे. इससे रोजगार बढ़ेगा और पोल्ट्री उद्योग मजबूत होगा. यह तकनीक छोटे और बड़े दोनों प्रकार के फार्मर्स के लिए फायदेमंद साबित होगी.
भविष्य की संभावनाएं और असर
जब यह तकनीक पूरी तरह विकसित हो जाएगी और देश भर में लागू हो जाएगी, तो यह पोल्ट्री फार्मिंग की दिशा बदल सकती है. भारत के गर्म इलाकों में भी पोल्ट्री फार्मर बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे. इससे देश में अंडे की कमी भी कम होगी और आम लोगों तक सस्ता और पौष्टिक अंडा पहुंच पाएगा. साथ ही, पोल्ट्री उद्योग में वैज्ञानिकों के योगदान से नई-नई तकनीकें भी विकसित होंगी, जो किसानों की जीवनशैली को बेहतर बनाएंगी.