टमाटर ने किया ओडिशा के किसानों को बर्बाद, 2 रुपये किलो तक पहुंचे दाम

पिछले तीन महीनों से टमाटर की खेती पर समय और पैसा खर्च करने के बावजूद, वह अपनी फसल पर कटाई की मजदूरी तक नहीं वसूल पा रहे हैं. हालात इतने खराब हो गए हैं कि 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 15 क्विंटल टमाटर बेचना पड़ा.

Kisan India
Agra | Published: 10 Mar, 2025 | 09:30 PM

ओडिशा के गंजम जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसानों को जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, वह वाकई चिंताजनक है. यहां टमाटर के बाजार में 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकने के बावजूद, किसानों को केवल 3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम ही मिल रहे हैं. इस असमान मूल्य के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा हैं और वो अपनी बुनियादी उत्पादन लागत भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं. 

कटाई तक निकालने में असमर्थ किसान 

पिछले तीन महीनों से टमाटर की खेती पर समय और पैसा खर्च करने के बावजूद, वह अपनी फसल पर कटाई की मजदूरी तक नहीं वसूल पा रहे हैं. हालात इतने खराब हो गए हैं कि 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 15 क्विंटल टमाटर बेचना पड़ा. पाहन ने एक एकड़ जमीन पर टमाटर की खेती की थी, लेकिन इतने बड़े प्रयास के बावजूद उन्हें मेहनत की कीमत नहीं मिल रही. वह इस स्थिति से परेशान हैं क्योंकि न तो उन्होंने जो मेहनत की, वह सही कीमत में बदली और न ही उनकी लागत पूरी हुई. 

कुछ किसानों ने व्यापारियों द्वारा 2 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत दिए जाने के बाद अपनी फसल को छोड़ देने का निर्णय लिया. यह स्थिति न केवल किसानों के लिए निराशाजनक है, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रही है. 

जानवरों को खिला दी फसल 

मठ मुकुंदपुर गांव के दया प्रधान और शत्रुसोला गांव के किसान उपेंद्र पोलाई न केवल न्यूनतम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हो रहे हैं, बल्कि उन्हें आवश्यक खर्च भी कवर नहीं हो पा रहा है. इस स्थिति का प्रभाव केवल उनकी आर्थिक स्थिति पर नहीं, बल्कि उनकी खेती की पूरी स्थिरता पर भी पड़ रहा है. उपेंद्र पोलाई ने कहा कि उन्होंने इतने कम दाम पर टमाटर बेचने की बजाय अपनी फसल को मवेशियों को खिलाने का फैसला किया. 

क्‍या है इसकी वजह 

बागवानी विभाग के उप निदेशक कांड जेना ने टमाटर की कीमतों में हुई भारी गिरावट का कारण बताया. उनका कहना था कि इस साल अत्यधिक फसल के कारण टमाटर की आपूर्ति में वृद्धि हुई, जिससे कीमतों में गिरावट आई. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कम अवधि की मौसमी फसल होने के कारण, कई किसानों ने टमाटर की खेती की, जिससे आपूर्ति में अधिकता हो गई और कीमतों में गिरावट देखी गई. जेना ने कहा, गंजाम में इस सत्र में करीब 1,500 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की गई. 

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Published: 10 Mar, 2025 | 09:30 PM

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