22 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई, सबसे ज्यादा धान का रकबा.. जानें दलहन-तिलहन का क्षेत्रफल

आंध्र प्रदेश में खरीफ सीजन की बुवाई तेजी से आगे बढ़ रही है. अब तक 22.12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बोई जा चुकी हैं. धान, मक्का, मूंग और कपास जैसी फसलों की बुवाई ने अच्छा प्रदर्शन किया है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Sep, 2025 | 01:49 PM

आंध्र प्रदेश में खरीफ का रकबा धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. अब तक कुल 22.12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल बोई जा चुकी है. खास बात यह है कि पिछले साल 27 अगस्त तक यह आंकड़ा 21.18 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, कुल लक्ष्य 34.53 लाख हेक्टेयर है. यानी लक्ष्य का 71 फीसदी रकबे में बुवाई हो चुकी है. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में खरीफ बुवाई में और तेजी आएगी. ऐसे में इस साल बंपर पैदावार की उम्मीद है, जिससे किसानों की अच्छी कमाई होगी.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, खरीफ सीजन आमतौर पर सितंबर के अंत तक खत्म हो जाता है, जिसमें 21 तरह की फसलें (अनाज, नकदी फसलें और तिलहन) बोई जाती हैं. मौजूदा रफ्तार को देखते हुए उम्मीद है कि राज्य में खेती 90 फीसदी से ज्यादा लक्ष्य को छू लेगी. अभी धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल बनी हुई है. अब तक 11.99 लाख हेक्टेयर में धान की बोवाई हो चुकी है, जो कुल लक्ष्य का 81 फीसदी और सामान्य औसत से 113 फीसदी ज्यादा है. ईस्ट गोदावरी, वेस्ट गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर, श्रीकाकुलम, तिरुपति और नेल्लोर जिलों में 85 फीसदी से ज्यादा धान की बोवाई पूरी हो चुकी है.

नकदी फसल का कितना पहुंचा रकबा

इस अच्छी प्रगति के पीछे लगातार हुई बारिश, बेहतर सिंचाई सुविधा और राज्य सरकार द्वारा दिए गए बीज और खाद की सप्लाई का बड़ा योगदान है. खास बात यह है कि  खरीफ सीजन के दौरान मक्का, अरहर, मूंग, उड़द और रागी जैसी दूसरी अनाज फसलें भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. इनकी बोवाई कुल लक्ष्य का 71 फीसदी तक पहुंच चुकी है. कपास, जो एक प्रमुख नकदी फसल है, 3.87 लाख हेक्टेयर में बोई गई है, जो लक्ष्य का 69 फीसदी है.

बुवाई में पिछड़ा तिलहन

इसके मुकाबले, तेल वाली फसलें पीछे चल रही हैं. अब तक केवल 2.08 लाख हेक्टेयर में ही बोवाई हुई है, जबकि लक्ष्य 6.66 लाख हेक्टेयर का है. यानी सिर्फ 37 फीसदी मूंगफली, अरंडी, तिल, सूरजमुखी और सोयाबीन जैसी फसलें उम्मीद से कम क्षेत्र में बोई गई हैं. धान इस समय टिलरिंग से पैनिकल इमर्जेंस स्टेज में है और नवंबर में कटाई के लिए तैयार होगा. मअगर मौसम ठीक रहा, तो अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार पैदावार अच्छी होगी, जिससे किसानों को आर्थिक राहत मिल सकती है.

खाद की नहीं है किसी तरह की किल्लत

कृषि निदेशक एस. दिल्ली राव ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों को जरूरी इनपुट, सब्सिडी और खाद दे रही है. उन्होंने कहा कि 6.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराया गया था, जिसमें से 5.48 लाख मीट्रिक टन पहले ही किसानों तक पहुंचाया जा चुका है. अभी भी 1 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा स्टॉक उपलब्ध है और केंद्र सरकार से अतिरिक्त स्टॉक भी मिला है.

 

 

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Published: 2 Sep, 2025 | 01:47 PM

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