REPORT: भारत के इन राज्यों में बढ़ेगा 4 जहरीले सांपों का आतंक, जानिए क्या है बड़ी वजह?

ग्लोबल स्तर पर हर साल करीब 81,000 से 1.38 लाख मौतें सांप के काटने से होती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले भारत से आते हैं. यानी, यह हमारे देश के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है.

नई दिल्ली | Published: 5 Sep, 2025 | 10:22 AM

भारत में सांप के काटने की घटनाएं लंबे समय से एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या रही हैं. हर साल हजारों लोगों की जान सांप के काटने से जाती है, लेकिन अब एक नई स्टडी ने और बड़ी चिंता पैदा कर दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से जहरीले सांपों का दायरा लगातार बढ़ रहा है. खासतौर पर उत्तर भारत और उत्तर-पूर्व भारत में, जहां अब तक सांपों का खतरा अपेक्षाकृत कम माना जाता था, वहां भी आने वाले समय में “बिग फोर” सांप यानी कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर अपना फैलाव कर सकते हैं.

क्यों बढ़ रही है सांप के काटने की घटनाएं?

स्टडी के अनुसार, बढ़ते तापमान और बढ़ती नमी (Humidity) ऐसे हालात बना रहे हैं, जिनमें जहरीले सांप आसानी से पनप सकते हैं. अब तक जो इलाके सुरक्षित माने जाते थे, वहां भी इनके लिए अनुकूल माहौल बनने लगा है. इसका सीधा मतलब है कि इंसान और सांप के बीच आमना-सामना ज्यादा होगा और खतरा भी बढ़ेगा.

स्टडी में क्या निकला सामने?

यह अध्ययन PLOS Neglected Tropical Diseases जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, दिब्रू-सैकहोवा कंजर्वेशन सोसाइटी और दक्षिण कोरिया की पुक्योंग नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आधुनिक क्लाइमेट मॉडल का इस्तेमाल किया.

रिसर्च में पाया गया कि हरियाणा, राजस्थान और असम जैसे राज्यों में आने वाले समय में सांपों का फैलाव तेजी से बढ़ सकता है. वजह है तेज गर्मी और बढ़ती नमी, जो सांपों के लिए बिल्कुल उपयुक्त माहौल है.

किन राज्यों और जिलों में खतरा ज्यादा?

शोधकर्ताओं ने स्नेकबाइट रिस्क इंडेक्स तैयार किया, जिसमें क्लाइमेट डेटा, सांपों का भौगोलिक फैलाव और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को शामिल किया गया. इसमें सामने आया कि कई जिले आने वाले समय में “हाई रिस्क” जोन बन सकते हैं.

दक्षिण भारत: कर्नाटक (चिक्कबल्लापुर, हावेरी, चित्रदुर्ग) और गुजरात (देवभूमि द्वारका, जामनगर)

उत्तर और उत्तर-पूर्व: असम (नगांव, मोरीगांव, गोलाघाट), मणिपुर (तेंग्नौपाल), राजस्थान (प्रतापगढ़)

पहले सुरक्षित माने जाने वाले इलाके भी खतरे में

नॉर्थ ईस्ट भारत के कई राज्य जैसे मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश, जहां अब तक सांप के काटने की घटनाएं बेहद कम होती थीं, अब वहां भी खतरा बढ़ रहा है. स्टडी के मुताबिक, यहां सांपों का बसेरा अगले कुछ दशकों में 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकता है.

इससे लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं. खासकर ग्रामीण और खेती-किसानी वाले इलाके ज्यादा जोखिम में होंगे. शहरों में भी तेजी से हो रहे शहरीकरण और हरियाली घटने से इंसान और सांप का आमना-सामना बढ़ेगा.

सांप के काटने से मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सांप के काटने को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (NTD) की श्रेणी में रखा है. इसका मतलब है कि यह एक ऐसी बीमारी है जिस पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि इससे हर साल हजारों मौतें होती हैं.

ग्लोबल स्तर पर हर साल करीब 81,000 से 1.38 लाख मौतें सांप के काटने से होती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले भारत से आते हैं. यानी, यह हमारे देश के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है.

अब क्या करना होगा?

अगर सांपों का फैलाव इसी तरह बढ़ा, तो आने वाले समय में भारत को और बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इसके लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर तैयारी करनी होगी.

जनजागरूकता बढ़ाना: ग्रामीण इलाकों में लोगों को सिखाना होगा कि सांप से कैसे बचें और काटने पर क्या करें.

स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करना: अस्पतालों में एंटीवेनम की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी.

आपातकालीन प्रतिक्रिया: डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को सांप के काटने का सही इलाज देने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए.

निगरानी तंत्र: किस इलाके में कितनी घटनाएं हो रही हैं, इसका सही रिकॉर्ड रखना जरूरी है.