महाराष्ट्र में रबी बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, 53630 हेक्टेयर के पार पहुंचा रकबा.. जानें गेहूं-मक्का का क्षेत्रफल

पुणे जिले में मक्का, कुल्थी  और चारे जैसी अन्य फसलों की बुआई भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, जो स्थानीय पानी की उपलब्धता पर निर्भर है. अब तक मक्का 8,909 हेक्टेयर में बोया गया है, जबकि इसका लक्ष्य 25,820 हेक्टेयर है.

Kisan India
नोएडा | Published: 11 Nov, 2025 | 04:08 PM

Maharashtra News: महाराष्ट्र के पुणे जिले में रबी सीजन की बुआई अब तेजी पकड़ रही है. शुरू में अनियमित और लंबी चली बारिश की वजह से बुआई धीमी थी, लेकिन अब खेतों में बची नमी के कारण किसान तेजी से बुआई कर रहे हैं. अभी तक जिले में 29 फीसदी रकबे में रबी की बुवाई हो गई है. जबकि पिछले साल इस समय तक 46 फीसदी क्षेत्र में रबी की बुवाई हुई थी. यानी इस साल अभी तक 17 फीसदी कम रकबे में किसानों ने फसल की बुवाई की है

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला कृषि अधीक्षक संजय काचोले का कहना है कि इस बार कुल 1.87 लाख हेक्टेयर के औसत क्षेत्र में से 53,639 हेक्टेयर पर बुआई हो चुकी है. उन्होंने कहा कि मॉनसून के देर से लौटने और खेतों में पर्याप्त नमी रहने से किसानों को बुआई शुरू करने में मदद मिली है. वहीं, राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले दो हफ्तों में बुआई की रफ्तार और बढ़ेगी, क्योंकि तब तक मिट्टी में नमी  बनी रहेगी. खास बात यह है कि मुख्य रबी फसलों में ज्वार की सबसे अधिक बुवाई हुई है. इसका रकबा 40,219 हेक्टेयर पहुंच गया है, जो औसत क्षेत्र का लगभग 46 फीसदी है. हालांकि, गेहूं 1,640 हेक्टेयर (4 फीसदी) और चना 2,080 हेक्टेयर (8 फीसदी) क्षेत्र में बोया गया है.

8,909 हेक्टेयर में हुई मक्के की बुवाई

पुणे जिले में मक्का, कुल्थी  और चारे जैसी अन्य फसलों की बुआई भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, जो स्थानीय पानी की उपलब्धता पर निर्भर है. अब तक मक्का 8,909 हेक्टेयर में बोया गया है, जबकि इसका लक्ष्य 25,820 हेक्टेयर है. वहीं, कुल्थी 148 हेक्टेयर में यानी टारगेट का 43 फीसदी है. बड़ी बात यह है कि पुरंदर, बारामती और अंबेगांव तालुके में सबसे ज्यादा रबी बुआई हुई है, जबकि मावल, मुलशी, भोर, वेल्हे, खेड़ और जुन्नर जैसे इलाकों में मिट्टी की नमी कम होने से काम धीमा है.

चना और गेहूं की बुआई में आएगी तेजी

कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि कुछ किसान अभी भी नमी बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि चना और गेहूं की बुआई शुरू की जा सके. इस साल मॉनसून देर से और अनियमित होने के कारण रबी तैयारी भी देरी से शुरू हुई. आमतौर पर बुआई सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में होती है, लेकिन इस बार बारिश लंबी चली, जिससे खेत तैयार करने में समय लग गया. जैसे ही मौसम अनुकूल हुआ, किसान तेजी से बुआई करने लगे.

नवंबर के अंत तक बुआई का क्षेत्र बढ़ेगा

इस सीजन में किसानों की फसलें सिंचाई और बाजार दामों को देखकर चुनी जा रही हैं. जिनके पास सिंचाई की सुविधा  है, वे गेहूं और चारे की फसलें ले रहे हैं. जबकि बरानी (बिना सिंचाई) किसान ज्वार और चना पर ध्यान दे रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि नवंबर के अंत तक बुआई का क्षेत्र काफी बढ़ जाएगा. 

उत्पादन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा

कृषि विभाग ने किसानों से कहा है कि वे तय समय के भीतर बुआई पूरी करें, ताकि बेहतर पैदावार मिल सके. काचोले ने कहा कि इस समय मिट्टी की नमी अच्छी है और बीज-खाद की पर्याप्त उपलब्धता है. किसानों को वैज्ञानिक तरीके अपनाने और प्रमाणित बीज  इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है. विभाग को उम्मीद है कि मौसम अनुकूल रहने से इस बार औसत से ज्यादा क्षेत्र में बुआई होगी और उत्पादन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.

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