Odisha News: ओडिशा में लगभग 1,500 रजिस्टर्ड बीज उत्पादक किसान पिछले आठ महीने से राज्य सरकार से मिलने वाली इनपुट सहायता राशि 800 रुपये प्रति क्विंटल का इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों ने ओडिशा स्टेट सीड्स कॉरपोरेशन (OSSC) को प्रमाणित धान के बीज सप्लाई किए थे. शनिवार को राज्य के अलग-अलग जिलों से करीब 150 किसान OSSC के प्रबंध निदेशक और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद पड्ढी से मिले और अपनी नाराजगी जाहिर की. किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी अनदेखी कर रही है.
राज्य के 13 लाख किसानों में से ये बीज उत्पादक किसान एक छोटा हिस्सा हैं, जिन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत अपना अतिरिक्त धान सरकार को बेचा था. जबकि सामान्य किसानों को धान डिलीवरी के 48 घंटे के भीतर इनपुट सहायता मिल गई, बीज उत्पादक किसान अब भी इंतजार में हैं. बीज उत्पादक किसानों का कहना है कि उन्हें प्रमाणित बीज तैयार करने में हर क्विंटल पर लगभग 700 रुपये ज्यादा खर्च आता है, फिर भी उन्हें समय पर सहायता नहीं मिल रही है.
2,300 रुपये क्विंटल धान का MSP
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सामान्य धान (FA क्वालिटी) का समर्थन मूल्य 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि प्रमाणित धान बीज का रेट 2,921 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. अक्टूबर 2024 में राज्य कैबिनेट ने ‘समृद्ध कृषक योजना’ को 2024-25 से 2026-27 तक तीन साल के लिए लागू करने को मंजूरी दी थी. इसके तहत बीज उत्पादक किसानों को बीज के निर्धारित मूल्य 2,921 रुपये के अलावा 800 रुपये प्रति क्विंटल की इनपुट सहायता देने का फैसला किया गया था. लेकिन अब तक कृषि विभाग ने यह इनपुट सहायता राशि ओडिशा स्टेट सीड्स कॉरपोरेशन (OSSC) को जारी नहीं की है. OSSC ने इस साल जनवरी में कृषि और खाद्य निदेशालय से 20 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन फंड अटका हुआ है.
किसानों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं
इस मुद्दे को लेकर किसानों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं. विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद पड्ढी ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वे एक हफ्ते में यह मसला सुलझाएंगे और इसे उपमुख्यमंत्री व कृषि मंत्री केवी सिंह देव के सामने रखेंगे. गौरतलब है कि OSSC बीते 10 महीनों से बिना पूर्णकालिक प्रबंध निदेशक के काम कर रहा था, जिससे बीज उत्पादक किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
यूरिया की भारी किल्लत
बता दें कि ओडिशा में किसानों को यूरिया किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है. पिछले महीने ही खबर सामने आई थी कि कटक जिले में खरीफ धान की बुवाई तो तेजी से हो रही है, लेकिन खाद की कमी के कारण किसान समय पर उर्वरक नहीं डाल पा रहे हैं. इससे फसलों की बढ़त पर असर पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकारी खाद की कमी के चलते अब कालाबाजारी बढ़ गई है. मजबूरी में उन्हें महंगे दाम पर खाद खरीदनी पड़ रही है. कई दुकानदार 45 किलो यूरिया की बोरी, जो 266.50 रुपये में मिलनी चाहिए, उसे 500 रुपये तक में बेच रहे हैं.