सरसों के लिए बहुत अहम है शुरुआत के 25 दिन, नहीं किया ये काम तो फसल हो जाएगी बर्बाद

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों की फसल में थिनिंग बहुत जरूरी होती है. बुआई के समय अगर बीज ज्यादा डाल दिए जाएं, तो खेत में पौधों की संख्या बढ़ जाती है और फिर वे सूर्य प्रकाश, पानी और मिट्टी के पोषक तत्वों के लिए आपस में संघर्ष करने लगते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 28 Nov, 2025 | 01:38 PM

Mustard cultivation: मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित लगभग पूरे देश में सरसों की बुवाई पूरी हो गई है. अब किसानों के लिए बहुत अहम समय आने वाला है. अगर किसान इस दौरान फसलों की अच्छी तरह से देखरेख नहीं करते हैं, तो फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. इससे पैदावार में गिरावट आ सकती है. खास कर बुवाई के 15 से 25 दिन के अंदर का समय सरसाों किसानों को लिए बहुत अहम होता है. इस दौरान खेतों में थिनिंग की ज्यादा जरूरीत होती है. अगर समय पर थिनिंग नहीं की तो फसलों को नुकसान पहुंचेगा.

कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, सरसों की अच्छी पैदावार के लिए खेत में पौधों की सही संख्या बनाए रखना बहुत जरूरी है. अगर बुआई के 15 से 25 दिन बाद थिनिंग नहीं की जाती, तो पौधों में आपसी प्रतिस्पर्धा  बढ़ जाती है. इससे उपज कम हो जाती है और दाने भी छोटे रह जाते है. थिनिंग करने से हर पौधे को पर्याप्त धूप, पानी और पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे पौधे मजबूत होते हैं और ज्यादा शाखाएं बनती हैं. यह प्रक्रिया पौधों को गिरने से बचाने के साथ-साथ रोगों का खतरा भी घटाती है. सही समय पर की गई थिनिंग से पैदावार में 10 से 15 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है.

पौधों के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों की फसल में थिनिंग बहुत जरूरी होती है. बुआई के समय अगर बीज ज्यादा डाल दिए जाएं, तो खेत में पौधों की संख्या बढ़ जाती है और फिर वे सूर्य प्रकाश, पानी और मिट्टी के पोषक तत्वों  के लिए आपस में संघर्ष करने लगते हैं. इसी प्रतिस्पर्धा की वजह से पौधों का विकास रूक जाता है. इसलिए किसानों को पहली सिंचाई से पहले थिनिंग जरूर कर लेनी चाहिए. थिनिंग करते समय स्वस्थ पौधों के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें. इसके लिए कमजोर, बीमार या दोहरे पौधों को जड़ से निकाल देना चाहिए. ऐसा करने से पौधे ज्यादा मजबूत बनते हैं और बेहतर उत्पादन देने के लिए तैयार हो जाते हैं.

फफूंद रोगों का खतरा कम हो जाता है

सरसों की फसल में थिनिंग करने से पौधों के बीच हवा का अच्छा संचार होता है, जिससे सफेद रतुआ जैसे फफूंद रोगों  का खतरा कम हो जाता है. जब पौधे सही दूरी पर होते हैं, तो उनकी जड़ें भी अच्छी तरह विकसित होती हैं, जिससे वे मिट्टी से ज्यादा नमी और पोषक तत्व ले पाते हैं. थिनिंग करते समय सबसे पहले कमजोर और खराब हालत वाले पौधों को पहचानकर हटाना चाहिए. यह काम हाथ से खींचकर या छोटी खुरपी की मदद से आसानी से किया जा सकता है.

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Published: 28 Nov, 2025 | 01:23 PM

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