धान नुकसान पर किसानों ने सरकारी दावा खारिज किया, 80 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे पर अड़े
यूनियन की मांग है कि प्रभावित किसानों को 80,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. किसान नेताओं ने मंत्री के बयान को 'राजनीतिक' बताया और कहा कि 1 सितंबर को सीएम हाउस का घेराव करेंगे.
हरियाणा में एसआरबीएसडीवी वायरस से धान की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा है कि प्रदेश में इस वायरस से 92,000 एकड़ में धान की फसल को नुकसान पहुंचा है. लेकिन किसान संगठन सरकार के दावे को सिरे से खारिज कर रहे हैं. दरअसल, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने हाल ही में बताया था कि राज्य सरकार SRBSDV को लेकर सतर्क है और इससे धान की फसल को लगभग 5 से 10 फीसदी तक नुकसान हुआ है. उन्होंने विधानसभा में बताया था कि करीब 40 लाख एकड़ में बोई गई धान की फसल में से लगभग 92,000 एकड़ क्षेत्र इस वायरस से प्रभावित पाया गया है. हालांकि, इस दावे को किसान यूनियनों ने खारिज कर दिया है. साथ ही यूनियन की मांग है कि प्रभावित किसानों को 80,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष रत्तन मान ने कहा कि किसानों का नुकसान इससे कहीं ज्यादा है. उन्होंने कहा कि किसानों को पहले तो वायरस से खराब हुई फसल को नष्ट करना पड़ा, जिससे खर्च बढ़ा. फिर दोबारा फसल की रोपाई करनी पड़ी, जो और महंगी साबित हुई. जब सरकार खुद मान रही है कि नुकसान हुआ है, तो उसे जमीनी स्तर पर गिर्दावरी (फसल सर्वे) करानी चाहिए.
80,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मिले मुआवजा
यूनियन की मांग है कि प्रभावित किसानों को 80,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. किसान नेताओं ने मंत्री के बयान को ‘राजनीतिक’ बताया और कहा कि 1 सितंबर को सीएम हाउस का घेराव करेंगे. भारतीय किसान यूनियन (चरुनी) के प्रवक्ता राकेश बैस और बीकेयू (सर छोटू राम) के बहादुर मेहला ने भी कृषि मंत्री के बयान को खारिज करते हुए गिर्दावरी (फसल सर्वे) की मांग की है.
कम से कम मुआवजा तो मिलना ही चाहिए
राकेश बैस ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान है, जमीनी हकीकत इससे अलग है. वहीं, बहादुर मेहला ने कहा कि इलाके में बड़े पैमाने पर किसानों को फसल की दोबारा रोपाई (re-transplantation) करनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि मैं खुद कई ऐसे किसानों को जानता हूं जिन्होंने 5-7 एकड़ तक दोबारा रोपाई की है. अगर मंत्री खुद मान रहे हैं कि 92,000 एकड़ फसल खराब हुई है, तो कम से कम उसका मुआवजा तो मिलना ही चाहिए. किसान लंबे समय से यही मांग कर रहे हैं.
इस मुद्दे समेत कई और मांगें उठाएंगे
मेहला ने आगे कहा कि हरियाणा किसान-मजदूर संघर्ष मोर्चा, जिसमें राज्य की कई किसान यूनियनें शामिल हैं, 1 सितंबर को कुरुक्षेत्र स्थित मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगे और इस मुद्दे समेत कई और मांगें उठाएंगे.