पंजाब में नहीं कम हो रहे पराली जलाने के मामले, 300 से अधिक नए केस आए सामने
पंजाब के अलावा दूसरे राज्यों में पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 1,047, राजस्थान में 812, मध्य प्रदेश में 622, हरियाणा में 158 और दिल्ली में अभी तक 3 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं.
Punjab News: पंजाब में पराली जलाने के मामले कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं. जैसे-जैसे गेहूं बुवाई में तेजी आ रही है वैसे-वैसे पराली जलाने के मामले में बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश में मंगलवार को 321 नए पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए, जिससे इस सीजन में कुल मामले 2,839 हो गए. पिछले हफ्ते से मामले तेजी से बढ़े हैं, जो 28 अक्टूबर को 933 थे. सिर्फ सात दिनों में इस साल के कुल फार्म फायर के 67 फीसदी मामले सामने आ गए. हालांकि, यह पिछले सालों की तुलना में कम है.
तुलना करें तो 4 नवंबर 2024 तक 4,394 मामले और 2023 में 14,173 मामले दर्ज किए गए थे. जिलेवार स्थिति देखें तो संगरूर 510, तरनतारन 506, फरीदकोट 52, अमृतसर 249, फतेहगढ़ साहिब 32, पठानकोट 1 और रूपनगर में अब तक कोई मामला नहीं दर्ज हुआ. बाकी जिलों में भी अलग-अलग संख्या में मामले सामने आए हैं. स्पेस से कृषि मॉनिटरिंग पर रिसर्च कंसोर्टियम (CREAMS) के अनुसार, पांच राज्यों में मंगलवार को कुल 425 पराली जलाने के मामले सामने आए. इनमें पंजाब का हिस्सा सबसे ज्यादा रहा, करीब 75.5 फीसदी है.
इन राज्यों में पराली जलाने के आए मामले
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के अलावा दूसरे राज्यों में पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 1,047, राजस्थान में 812, मध्य प्रदेश में 622, हरियाणा में 158 और दिल्ली में अभी तक 3 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं. खास बात यह है कि इसमें पंजाब पराली जलाने में सबसे आगे रहा. 4 नवंबर को पंजाब में वायु गुणवत्ता (AQI) कुछ इस प्रकार रही. अमृतसर में औसत PM 2.5 140, बठिंडा में 182, जलंधर में 155, खन्ना में 241, लुधियाना में 200, मंडी गोबिंदगढ़ में 137, पटियाला में 187 और रूपनगर में 94 रहा. दक्षिणी मलवा के बठिंडा, मलोट और अबोहर में बारिश हुई और बठिंडा व फाजिल्का में ओलावृष्टि भी दर्ज हुई. हल्की-मध्यम बारिश से कुछ मंडियों में धान की फसल प्रभावित हुई.
दिल्ली में हवा हुई जहरीली
खास बात यह है कि पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने से हवा भी जहरीली हो गई है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके हर सर्दियों की तरह फिर से जहरीली धुंध में घिरने लगे हैं, शहर की अपनी रहने लायक स्थिति पर सवाल उठना शुरू हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जबकि साल भर शहरों में प्रदूषण बना रहता है, सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर की समस्या और ज्यादा स्पष्ट हो जाती है क्योंकि धुंध की मोटी परत शहर को ढक लेती है. उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का मतलब है कि PM2.5 बहुत छोटे कण, जो खून में आसानी से पहुंच सकते हैं. और अन्य प्रदूषकों की खतरनाक मात्रा मौजूद है. लंबे समय तक ऐसे प्रदूषित हवा में रहने से हृदय रोग, मेटाबोलिक और ऑटोइम्यून बीमारियां, और यहां तक कि कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है.