गन्ना बुवाई से पहले खेत में डालें ये जादुई चीज, फसल में नहीं लगेगा ‘लाल सड़न रोग’.. होगी बंपर पैदावार

शरदकालीन गन्ना बुवाई के साथ ही किसान लाल सड़न रोग से बचाव को लेकर चिंतित हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने इसके समाधान के लिए 'अंकुश' जैविक कल्चर तैयार किया है, जो मिट्टी जनित बीमारियों को रोकने में असरदार है. यह सस्ता, प्राकृतिक और प्रभावी तरीका किसानों को बेहतर फसल दिला सकता है.

नोएडा | Published: 18 Oct, 2025 | 05:00 PM

Sugarcane Farmers: अक्टूबर महीने के आगमन के साथ ही उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में शरदकालीन गन्ने की बुवाई शुरू हो गई है. लेकिन कई किसान गन्ने में लगने वाले रोगों को लेकर चिंता में है. लेकिन ऐसे किसानों को गन्ना बुवाई करने से पहले उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. क्योंकि गन्ने में रोग बीज से ही फैलते हैं. इसलिए बुवाई के समय की गई जरा सी गलती किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है. ऐसे गन्ने की फसल के लिए सबसे खतरनाक बीमारी  ‘लाल सड़न रोग’ है, जिसे गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है. ये रोग बहुत तेजी से फैलता है और एक बार लग जाने पर इसे रोकना काफी मुश्किल हो जाता है.

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बीमारी मिट्टी में मौजूद फंगस या पहले से संक्रमित बीज  से फैलती है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि किसान स्वस्थ और प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें. साथ ही बुवाई से पहले मिट्टी का उपचार जरूर करें. इसके लिए किसान ‘अंकुश’ नाम के जैविक उत्पाद का प्रयोग कर सकते हैं, जिसे वैज्ञानिकों ने खासतौर पर गन्ने के रोगों से बचाव के लिए तैयार किया है. यह उत्पाद न केवल असरदार है, बल्कि किफायती भी है. अगर किसान ये शुरुआती सावधानियां रखेंगे तो आने वाले 2-3 सालों तक उन्हें बेहतर फसल और अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

मिट्टी में मौजूद हानिकारक रोगों को खत्म करता है

दरअसल, वैज्ञानिकों ने ‘अंकुश’ नाम का एक जैविक कल्चर  तैयार किया है, जो गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग (गन्ने का कैंसर) को रोकने में काफी मदद करता है. इस जैविक उत्पाद में ट्राइकोडर्मा नाम की फफूंद डाली गई है, जो मिट्टी में मौजूद हानिकारक रोगों को खत्म करने में कारगर होती है. सिर्फ गन्ने ही नहीं, बल्कि यह कल्चर दूसरी फसलों की मिट्टी जनित बीमारियों को रोकने में भी बहुत उपयोगी है. अंकुश एक सस्ता, असरदार और प्राकृतिक उपाय है, जिससे किसान अपनी फसल को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं.

ऐसे करें जैविक कल्चर का इस्तेमाल

इन दिनों शरदकालीन गन्ने की बुवाई चल रही है. खेत तैयार करते समय किसान अंतिम जुताई के दौरान ‘अंकुश’ जैविक कल्चर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे 10 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें. अगर चाहें तो इसकी मात्रा 15 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर तक भी बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इसकी ज्यादा मात्रा का कोई नुकसान नहीं होता. किसान इसे सड़ी हुई गोबर की खाद  या मिट्टी में मिलाकर पूरे खेत में फैला दें और फिर जुताई करके बुवाई के लिए खेत तैयार करें. 1 किलो अंकुश की कीमत सिर्फ 56 रुपये है और किसान इसे किसी गन्ना शोध संस्थान से जाकर खरीद सकते हैं. यह तरीका सस्ता भी है और फसल की सेहत के लिए फायदेमंद भी.

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