देश के सभी बड़े राज्यों में गेहूं की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है. गेहूं, रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल है. मौसम में बदलाव को लेकर किसान और कृषि विशेषज्ञ गेहूं की पैदावार को लेकर खासे परेशान थे. जल्दी गर्मी और फिर मौसम में लगातार बदलाव के बाद भी गेहूं के बंपर उत्पादन की खबरें हैं. राजस्थान के कुछ जिलों को छोड़कर बाकी सभी उत्पादक राज्यों में इस साल गेहूं की फसल की स्थिति को लेकर कोई चिंता नहीं है. किसानों को उम्मीद है कि पिछले साल की तुलना में इस बार पैदावार कम से कम 10 फीसदी ज्यादा होगी.
इस साल बढ़ा गेहूं का रकबा
हिंदू बिजनेस लाइन ने कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि अनुसार, इस साल गेहूं की बुवाई का रकबा 3.44 करोड़ हेक्टेयर है. यह पिछले साल के 3.40 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा है. इसके अलावा, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 1 मार्च तक 113 लाख टन गेहूं का स्टॉक था, जो पिछले साल की समान अवधि में 134 लाख टन था. हालांकि, यह स्टॉक बफर स्टॉक मानदंडों के अनुसार पर्याप्त है.
राजस्थान में क्यों पड़ा असर
राजस्थान के कुछ जिलों में कम बारिश और सूखे की स्थिति के कारण गेहूं की फसल प्रभावित हुई है. हालांकि, अन्य राज्यों में फसल की स्थिति संतोषजनक है और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. कुल मिलाकर, इस साल गेहूं की फसल की स्थिति अच्छी है, और किसानों को बेहतर पैदावार की उम्मीद है.
गेहूं की होगी कितनी उपज
सरकार का अनुमान है कि इस बार गेहूं उत्पादन 115 मिलियन टन (एमटी) से ज्यादा हो सकता है. जबकि मिल मालिकों को यह करीब 110 एमटी तक होने की उम्मीद है. हालांकि, व्यापार में कुछ लोग दोनों संख्या के लिए तैयार नहीं हैं, उनका कहना है कि उत्पादन केवल 104-106 एमटी हो सकता है. जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम किस्मों की समय पर बुवाई और रोपण को फसल की अच्छी स्थिति का श्रेय दिया जा रहा है. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जलवायु की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए गेहूं के तहत लगभग 67 प्रतिशत क्षेत्र को नई किस्मों से कवर किया गया है.
फरवरी के तापमान ने डराया!
भारत में फरवरी के मध्य में जब तापमान औसत से ज्यादा पहुंचा तो किसान और विशेषज्ञ घबरा गए थे. बढ़े तापमान की वजह से गेहूं और रेपसीड उगाने वाले प्रमुख राज्यों में फसल पर असर पड़ने की आशंका जताई गई थी. लेकिन फरवरी के अंत में जब फिर से मौसम बदला और ठंड बढ़ी तो किसानों के चेहरे खिल गए थे. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक के रूप में, भारत साल 2022 से लगातार तीन वर्षों तक खराब फसल पैदावार को झेलता आ रहा है. महंगे आयात से बचने के लिए उसे साल 2025 में बंपर फसल की उम्मीदे हैं.