जीरा की नई किस्म दे रही खूब उपज, इस विधि से बुवाई करने पर क्वालिटी में सुधार

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत विकसित जीरे की उन्नत किस्म CZC-94 कम अवधि वाली और उच्च उत्पादकता वाली है, जो पहाड़ी और मैदानी इलाकों के लिए उपयुक्त है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 20 May, 2025 | 05:16 PM

भारतीय मसालों में एक अहम स्थान रखने वाला जीरा अपनी तीखी खुशबू और खास स्वाद के चलते हर रसोई का जरूरी हिस्सा बन चुका है. दुनिया भर में भारतीय जीरे की भारी मांग है और इसका निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है. लेकिन मौसम की मार, सिंचाई की कमी और कीट-बीमारियों जैसी समस्याएं जीरे की पैदावार और क्वालिटी पर असर डालती हैं, जिसे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. लेकिन, अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) के कृषि वैज्ञानिकों ने 2021 में जीरे की एक खास किस्म जीरा CZC-94 को विकसित किया है, जो कम लागत में ज्यादा उपज देने में सक्षम है.

105 दिनों में पक कर तैयार

CZC-94 जीरे एक कम अवधि वाली उन्नत किस्म है, जो खासतौर से पहाड़ी और मैदानी इलाकों के लिए तैयार की गई है. यह किस्म केवल 100 से 105 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, जबकि सामान्य किस्मों को 120-135 दिन लगते हैं. इसमें 40 से 42 दिन में फूल आ जाते हैं, जिससे इसकी कटाई समय पर हो जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फसल काफी समय के लिए खेतों में होती है, जिस कारण अल्टरनेरिया ब्लाइट जैसी बीमारी का खतरा कम रहता है. वहीं सामान्य किस्मों में 3-4 बार कीटनाशक छिड़काव करना पड़ता है, जबकि इसमें सिर्फ 2 से 3 बार छिड़काव काफी होता है.

टर्मिनल हीट स्ट्रेस से बचाव

इसके अलावा यह किस्म फरवरी-मार्च में बढ़ने वाली गर्मी और हवाएं फसल को नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन CZC-94 जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे टर्मिनल हीट स्ट्रेस से फसल बच जाती है. यह किस्म बदले हुए मौसम के प्रभाव से भी सुरक्षित मानी जाती है. वहीं जीरे के इस किस्म को दिसंबर के मध्य तक बोया जा सकता है, और फिर भी इसकी पैदावार पर असर नहीं पड़ता. जिसे किसान देर से भी बुआई कर भी अच्छा उत्पादन पा सकते है. बात करें अगर सिंचाई की तो रबी फसल की इस किस्म को सिर्फ 3 बार सिंचाई की जरूरत होती है, जिससे पानी की बड़ी बचत होती है.

राजस्थान और गुजरात के किसानों के लिए बेस्ट

जीरे की खेती भारत के शुष्क इलाकों जैसे राजस्थान और गुजरात के किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया माना जाता है. वहीं जीरे की यह किस्म परंपरागत किस्मों की तुलना में जल्दी तैयार होने के साथ कम संसाधनों में अच्छी पैदावार देती है. जिसे किसान बाजार में पहले अपनी उपज पहुंचा सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छी कीमत और समय से नकद आमदनी मिलती है.

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Published: 20 May, 2025 | 05:16 PM

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