ड्रोन और डिजिटल नक्शे से तय होगी जमीन की सटीक हद, जनता को मिलेगा भरोसेमंद स्वामित्व प्रमाण

भारत सरकार ने भूमि विवादों को खत्म करने के लिए “नक्शा” नाम का डिजिटल भू-रिकॉर्ड सिस्टम शुरू किया है. यह ड्रोन और जीआईएस तकनीक से जमीन की सही माप देता है, जिससे नागरिकों को पारदर्शी स्वामित्व और कानूनी सुरक्षा मिल सकेगी.

नोएडा | Updated On: 8 Nov, 2025 | 10:56 PM

भारत सरकार ने भूमि से जुड़े विवादों, भ्रम और जटिलताओं को समाप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने नक्शा (राष्ट्रीय शहरी निवास-स्थल भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) कार्यक्रम की शुरुआत की है. यह पहल न केवल भूमि प्रशासन में पारदर्शिता लाने का प्रयास है, बल्कि यह नागरिकों के लिए भूमि स्वामित्व की डिजिटल पहचान का प्रतीक भी बन रही है.

भूमि: विकास का आधारस्तंभ

जब भारत एक समावेशी और विकसित राष्ट्र  बनने की दिशा में अग्रसर है, तो उसकी सबसे मजबूत नींव भूमि ही है. चाहे बात घर, खेत, दुकान या स्मार्ट सिटी की हो-हर विकास योजना भूमि पर टिकी है. लेकिन वर्षों से देश में अधूरे, अस्पष्ट और विवादास्पद भू-अभिलेखों ने नागरिकों को परेशान किया है. अधूरे रजिस्टर, गलत माप, अस्पष्ट सीमाएं और भ्रष्टाचार ने इस प्रक्रिया को बेहद कठिन बना दिया था. संपत्ति खरीदने, उत्तराधिकार पाने, ऋण लेने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में नागरिकों को लंबी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था.

नक्शा: पारदर्शी भूमि प्रबंधन की नई दिशा

इन समस्याओं के समाधान  के लिए नक्शा कार्यक्रम को एक डिजिटल भू-रिकॉर्ड सिस्टम के रूप में विकसित किया गया है. यह कार्यक्रम ड्रोन सर्वेक्षण, जीएनएसएस मैपिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग कर सटीक और सत्यापित भू-रिकॉर्ड तैयार करता है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्रत्येक संपत्ति के लिए एक विशेष डिजिटल कार्ड- योरप्रो (YourPro- Urban Property Ownership Record) जारी किया जाता है, जो स्वामित्व का डिजिटल प्रमाणपत्र है. इससे नागरिकों को अब बिचौलियों या कागजी दस्तावेज़ों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं रहेगी.

नागरिक सशक्तिकरण और डिजिटल भरोसा

नक्शा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह नागरिकों को डिजिटल सशक्तिकरण  प्रदान करता है. अब कोई भी व्यक्ति अपनी भूमि की जानकारी, सीमाएं, और स्वामित्व रिकॉर्ड ऑनलाइन देख और सत्यापित कर सकता है. इससे ऋण प्राप्ति, संपत्ति बिक्री, उत्तराधिकार प्रक्रिया और विवाद समाधान की गति तेज हुई है. इसके अलावा, नागरिक ऑनलाइन आपत्तियाँ दर्ज कर सकते हैं, जिससे जनभागीदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है. नक्शा के माध्यम से अब भूमि केवल संपत्ति नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार और समानता का प्रतीक बन गई है.

नगर प्रशासन और नीति-निर्माण को मिला सटीक डेटा

नक्शा ने न केवल नागरिकों के लिए, बल्कि स्थानीय प्रशासन और नगरपालिकाओं के लिए भी काम आसान कर दिया है. अब उनके पास सटीक भू-स्थानिक डेटा तक पहुंच है, जिससे कर निर्धारण, शहरी नीति-निर्माण और अवसंरचना विकास योजनाएँ अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन गई हैं. डिजिटल मानचित्रों के जरिए शहरों की योजना बनाना, सड़कें, नालियां और आवासीय क्षेत्र निर्धारित करना अब पहले से अधिक सटीक और तेज़ हो गया है. यह पहल स्मार्ट सिटी मिशन, पीएम गति शक्ति और पीएम स्वनिधि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ भी तालमेल स्थापित कर रही है.

आपदा प्रबंधन में भी मददगार बनेगा नक्शा

यह डिजिटल भू-अभिलेख केवल प्रशासनिक सुविधा तक सीमित नहीं है. नक्शा के माध्यम से उपलब्ध ऊंचाई और अवस्थिति से जुड़े विस्तृत डेटा की मदद से अब बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य तेजी से शुरू किए जा सकते हैं. सत्यापित डिजिटल रिकॉर्ड यह सुनिश्चित करते हैं कि मुआवज़ा और राहत सहायता वास्तविक लाभार्थियों तक शीघ्र पहुंचे. इससे आपदा के बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया अधिक कुशल और न्यायसंगत बन गई है.

प्रवासी भारतीयों और कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा कवच

नक्शा कार्यक्रम एनआरआई (अनिवासी भारतीयों), दिव्यांगजनों और अन्य कमजोर समूहों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है. वे अब अपने संपत्ति रिकॉर्ड ऑनलाइन देख, सत्यापित और सुरक्षित कर सकते हैं- बिना सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए. यह प्रणाली धोखाधड़ी, अतिक्रमण और फर्जी दस्तावेजों के जोखिम को कम करती है और सभी वर्गों के लिए समान अवसर और सुलभता सुनिश्चित करती है. इस तरह नक्शा भारत में भूमि स्वामित्व को भरोसे, पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा का नया आयाम दे रहा है.

विकसित भारत की आधारशिला

भारत में भूमि विवादों ने लंबे समय तक असमानता और देरी को जन्म दिया है.
लेकिन नक्शा इन चुनौतियों को पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित भूमि प्रशासन प्रणाली के माध्यम से समाप्त करने की दिशा में अग्रसर है. यह कार्यक्रम न केवल स्थानीय शासन को मजबूत बनाता है, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के नए रास्ते भी खोलता है. भूमि अब केवल भौतिक संपत्ति नहीं रही- यह हर नागरिक की पहचान, विरासत और सपनों की कुंजी बन चुकी है. नक्शा उस विश्वास का प्रतीक है, जो भारत को एक अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और विकसित राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ा रहा है.

Published: 8 Nov, 2025 | 11:30 PM

Topics: