कर्नाटक में बीते कई दिनों से गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग को चल रहे किसानों के आंदोलन का मामला पीएमओ तक पहुंच गया है. किसान गन्ना मूल्य 3500 रुपये टन करने की मांग कर रहे हैं. गन्ना मूल्य को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाने के कारण करीब 5 दिनों से 26 से ज्यादा चीनी मिलें बंद हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आज चीनी मिलों और किसानों के साथ बैठक करेंगे. जबकि, पीएम को भी मामले को लेकर उन्होंने चिट्ठी लिखी है. इस बीच 1 नवंबर से चीनी पेराई सीजन 2025-26 की शुरुआत हो चुकी है. आंदोलन अगर जल्द नहीं थमता है तो चीनी मिलों को तगड़ा झटका लग सकता है, जबकि, चीनी उत्पादन के साथ एथेनॉल ब्लेंडिंग पर भी विपरीत असर पड़ सकता है.
मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर अड़े हैं गन्ना किसान
उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी के गोकक कस्बे से शुरू हुए आंदोलन ने 4 दिन पहले तक नया मोड़ ले लिया जब छात्रों ने किसानों के साथ मिलकर प्रमुख चौराहों पर सड़क जाम कर दी. गन्ने के लिए राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) की मांग को लेकर शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन अथानी, चिक्कोडी, हुक्केरी, बैलहोंगल, मुदलागी, गोकक और आसपास के इलाकों में फैल गया है. किसान गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग पर अडे़ हुए हैं. जबकि, इस मामले पर राज्य सरकार और केंद्र मूल्य बढ़ोत्तरी मांग की बॉल एक दूसरे के पाले में डालने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि गन्ने के लिए 3500 रुपये प्रति टन मूल्य दिया जाए.
राज्य ने केंद्र के पाले में डाली मूल्य बढ़ोत्तरी की गेंद
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) केंद्र तय करता है, राज्य सरकार नहीं. उन्होंने कहा कि गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी का मामला अब पीएम कार्यालय तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि एफआरपी तय करना केंद्र का काम है, हमारा नहीं. हर साल यह केंद्र ही करता है. इस साल भी उन्होंने 6 मई को ऐसा किया. उन्होंने कहा कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है. एफआरपी तय करने में केंद्र की बड़ी भूमिका होने के बावजूद, विपक्ष राजनीति कर रहा है. मैं किसानों से अपील करता हूं कि वे विपक्ष के बयानों के आगे न झुकें.
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किसानों और चीनी मिलों के साथ सरकार की अहम बैठक आज
मुख्यमंत्री ने आज शुक्रवार को किसान नेताओं के साथ बैठक करेंगे और किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय भी मांगा. गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी का मामला अब पीएम कार्यालय तक पहुंच गया है. सिद्धारमैया ने आज बेंगलुरु के सभी चीनी मिल मालिकों के साथ किसानों के आंदोलन और उनकी मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग पर चर्चा करेंगे. इसके बाद वह हावेरी, बेलगावी, बागलकोट और विजयपुरा के किसान नेताओं के साथ बैठक करेंगे.
सीएम ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मुलाकात का अनुरोध करूंगा. अगर वे कल मौका देते हैं, तो मैं उनसे दिल्ली में मिलूंगा और किसानों की समस्याओं और मांगों से उन्हें अवगत कराऊंगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने मोदी को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा है. मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रति अपनी सहानुभूति जताते हुए सिद्धारमैया ने उनसे राजमार्गों को अवरुद्ध न करने की अपील की, क्योंकि इससे जनता को असुविधा होगी.
Karnataka CM Siddaramaiah writes to PM Narendra Modi, regarding “urgent appointment to resolve the sugarcane farmers’ crisis in Karnataka.”
“I request for a prompt meeting with you so that we may address these issues in concert for the sake of our sugarcane farming community,… pic.twitter.com/oXNhHlBPtC
— ANI (@ANI) November 7, 2025
2700, 3200 और 3550 रुपये भाव का मामला क्या है
किसानों का आरोप है कि चीनी मिलों पर 2700 रुपये प्रति टन का भाव उन्हें दिया जा रहा है. जबकि, केंद्र की ओर से तय चीनी रिकवरी दर पर 3550 रुपये एफआरपी तय किया गया है. वहीं, आंदोलन के बाद चीनी मिलों ने किसानों को 3200 रुपये देने का प्रस्ताव दिया है, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया है. इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि इस साल एफआरपी 3,550 रुपये प्रति टन है, जिसमें कटाई और परिवहन शामिल है, बशर्ते 10.25 प्रतिशत की वसूली हो. उन्होंने कहा कि 10.25 फीसदी रिकवरी का मतलब है कि 100 किलोग्राम गन्ने से 10.25 किलोग्राम चीनी का उत्पादन होता है. यदि रिकवरी अधिक है तो प्रत्येक 0.1 फीसदी बढ़त पर 3.46 रुपये अतिरिक्त भुगतान किया जाना चाहिए. यदि यह 10.25 फीसदी से कम है तो प्रत्येक एक फीसदी की कमी पर 3.46 रुपये कम किए जा सकते हैं, जिससे 9.5 फीसदी रिकवरी पर न्यूनतम 3,290.50 रुपये प्रति टन हो जाएगा.
सिद्धारमैया ने कहा यह निर्णय केंद्र ने लिया है, राज्य सरकार ने नहीं. राज्य सरकार केवल इसे लागू कर सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि किसानों को उनकी कीमत मिले. उन्होंने यह भी बताया कि पूरे देश के लिए केवल 10 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात की अनुमति है, जबकि अकेले कर्नाटक 41 लाख टन चीनी का उत्पादन करता है.
एथेनॉल आवंटन को लेकर सीएम का केंद्र पर गंभीर आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की इथेनॉल नीति राज्य के किसानों को भी प्रभावित करती है. मुख्यमंत्री ने दावा किया कर्नाटक में 270 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है, लेकिन हमें केवल 47 करोड़ लीटर का आवंटन किया गया. यह केंद्र की ओर से कर्नाटक के किसानों के साथ खेले जा रहे खेल का एक स्पष्ट उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 11 स्थानों पर भौतिक तौल मशीनें लगाने का फैसला किया है और आठ अन्य स्थानों पर टेंडर जारी किए हैं. सिद्धारमैया ने कहा कि माप, कटाई और बिलिंग प्रक्रियाओं की जांच के लिए एक समिति भी गठित की गई है. उनके अनुसार, कर्नाटक ने 2024-25 में 522 लाख मीट्रिक टन चीनी की पेराई की, जबकि इस वर्ष के आंकड़े अभी अंतिम रूप दिए जाने बाकी हैं.
केंद्र का गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर राज्य पर पलटवार
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर झूठ बोलने और तुच्छ राजनीति करने का आरोप लगाया. केंद्रीय मंत्री ने बेंगलुरु में कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठ बोला है. 2025-26 में कर्नाटक को 116.31 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया गया था. इसमें से 90 करोड़ लीटर गन्ना और उससे संबंधित है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में औसत चीनी रिकवरी 10.5 फीसदी है. उन्होंने कहा कि इस हिसाब से एफआरपी 3,636 रुपये प्रति टन है, जबकि किसानों ने न्यूनतम 3,500 रुपये प्रति टन की मांग की है. उन्होंने कहा कि किसानों की मुख्य शिकायत कटाई और परिवहन के लिए अधिक कटौती है. जोशी ने कहा पहले केंद्र पर सीधे आरोप लगाने के बजाय राज्य किसानों की समस्या का समाधान करे.