नकली खाद-बीज के खिलाफ भड़के हरियाणा के किसान, 13 जून को बड़ी बैठक बुलाई

13 जून को होने वाली इस बैठक में किसानों के सामने आ रही असली परेशानियों पर खुलकर चर्चा की जाएगी. हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने सभी किसान भाइयों और संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं से समय पर बैठक में शामिल होने की अपील की है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 9 Jun, 2025 | 04:45 PM

किसानों की मेहनत अगर सही फसल न दे, तो उसकी सबसे बड़ी वजह मिलावटी खाद, नकली बीज और घटिया कीटनाशक हो सकते हैं. हाल ही में राजस्थान में नकली खाद और बीज के खिलाफ बड़ी छापेमारी हुई है, जिसमें कई कंपनियों की पोल खुल गई. खुद राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नकली उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ नया कानून लाने का ऐलान किया है.

अब ये मुद्दा सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हरियाणा के किसान भी इससे परेशान हैं. इन ही समस्याओं को लेकर भारतीय किसान एकता द्वारा 13 जून, शुक्रवार को सिरसा की जाट धर्मशाला में एक अहम बैठक बुलाई गई है. बैठक का मकसद साफ है कि किसानों की आवाज को मजबूती देना और उनकी जमीनी समस्याओं को मिलकर हल निकालना.

बैठक में उठेंगे जमीनी मुद्दे

13 जून को होने वाली इस बैठक में किसानों के सामने आ रही असली परेशानियों पर खुलकर चर्चा की जाएगी. हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने सभी किसान भाइयों और संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं से समय पर बैठक में शामिल होने की अपील की है. उनका कहना है कि “हमारी आवाज तभी सुनी जाएगी जब हम एकजुट होंगे और अपने हक के लिए मिलकर खड़े होंगे.”

नकली बीज और खाद का खेल

राजस्थान की छापेमारी से यह साफ हो गया है कि नकली खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां किस तरह किसानों की मेहनत से खिलवाड़ कर रही हैं. चिंता की बात यह है कि ऐसे ही घटिया उत्पाद हरियाणा में भी खुलेआम बिक रहे हैं. ये नकली सामान न केवल किसानों को फसल में घाटा दे रहा है, बल्कि उनकी मेहनत और पैसों को भी डुबो रहा है. भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) की टीम समय-समय पर ऐसे दुकानदारों और कंपनियों पर कार्रवाई कर रही है ताकि ईमानदार दुकानदारों को भी बदनाम न होना पड़े.

सिर्फ नकली सामान नहीं, कई और मुद्दे भी होंगे चर्चा में

बैठक में केवल नकली बीज या खाद की बात नहीं होगी. किसान जिन समस्याओं से रोज जूझते हैं, वे सभी मुद्दे टेबल पर रखे जाएंगे जैसे खेतों तक टेल तक नहरी पानी पहुंचाना, बिजली की अघोषित कटौती, फसलों का बीमा क्लेम न मिलना, बीमा प्रीमियम की वापसी का मुद्दा, आग से फसल का नुकसान और जंगली सूअरों द्वारा फसल की बर्बादी. इसके अलावा डीएसआर योजना की बकाया राशि और खेतों में बनवाए जाने वाले पानी के टैंकों की लंबित भुगतान की समस्या पर भी खुलकर बातचीत की जाएगी.

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Published: 9 Jun, 2025 | 04:30 PM

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