किसान अक्सर अच्छे उत्पादन और अच्छा मुनाफा कमाने के लिए कम समय में तैयार होने वाली फसलों की खेती करते हैं. ताकि समय पर वे फसल उत्पादन तो बाजार में बेच सकें. लेकिन किसी भी फसल की खेती ध्यान रखने वाली बात ये है कि किसान ने उसकी सही किस्मों का चुनाव किया हो. ऐसी किस्में जो कि उन्हें ज्यादा पैदावार दें. ठीक ऐसा ही उड़द दाल के साथ भी है. उड़द दाल की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है लेकिन अगर किसान उसकी सही किस्मों का चुनाव करें. तो चलिए जानते हैं उड़द की ऐसी की तीन उनन्नत किस्मों के बारे में.
उड़द दाल की 3 उन्नत किस्में
पंत उड़द 30
यह उड़द दाल की एक ऐसी किस्म है जो खरीफ और जायद दोनों ही सीजनों में उगाई जा सकती है. इसकी फसल करीब 75 से 80 दिनों में बनकर तैयार हो जाती है. बता दें कि उड़द दाल की ये किस्म फसलों में लगने वाले मृदुरोमिल आसिता और पीले मोजेक रोग की प्रतिरोधी है. पंत उड़द 30 की प्रति हेक्टेयर फसल से लगभग 10 से 12 क्विंटल पैदावार होती है.
बिरसा उड़द 1
यह उड़द दाल की एक उन्नत किस्म है. इसे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में विकसित किया गया था. बिरसा उड़द 1 को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इसे दालों की प्रमुख किस्मों से एक माना जाता है. इसको उगाने के लिए खरीफ मौसम सही होता. बुवाई के करीब 80 दिनों बाद ये तैयार हो जाती है. बात करें उपज की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से 45 से 50 क्विंटल की उपज होती है. पैदावार के लिहाज से यह उड़द दाल की सबसे उन्नत किस्म है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा हो सकता है.
पूसा 1
पूसा 1 भी उड़द दाल की एक ऐसी किस्म है जिसकी बुवाई खरीफ और जायद दोनों ही सीजनों में की जा सकती है. यह पीले मोजेक रोग की प्रतिरोधी है. इसके दाने काले रंग के होते हैं. बता दें यह बुवाई के करीब 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बात करें इसकी उपज की तो पूसा 1 का प्रति हेक्टेयर फसल के करीब 4.8 से 6 क्विंटल तक उपज होती है.