शून्य डिग्री तक गिरा तापमान, चाय बागानों में पाले से भारी नुकसान- क्या महंगी हो जाएगी चाय?
तेज ठंड और पाले की वजह से चाय की झाड़ियों पर भारी दबाव पड़ा है. पत्तियां झड़ने लगी हैं और पौधों की नमी खत्म हो रही है. मुन्नार के लॉकहार्ट एस्टेट जैसे ऊंचाई पर स्थित बागानों में स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है. करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इन इलाकों में तापमान शून्य से नीचे चला गया है.
Tea frost damage: दक्षिण भारत के चाय उत्पादक इलाकों में इस समय कड़ाके की ठंड ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. केरल के मुन्नार और तमिलनाडु के नीलगिरि क्षेत्र में अचानक गिरे तापमान के कारण चाय बागानों में पाला पड़ गया है. इसका सीधा असर चाय की फसल पर देखने को मिल रहा है. कई इलाकों में चाय की पत्तियां झुलस गई हैं और पौधों की बढ़वार रुक गई है, जिससे आने वाले महीनों में उत्पादन घटने की आशंका जताई जा रही है.
मुन्नार में सबसे ज्यादा नुकसान
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, मुन्नार क्षेत्र में ठंड का असर सबसे ज्यादा देखा गया है. स्थानीय चाय उत्पादक कंपनियों के अनुसार, सिर्फ मुन्नार इलाके में ही करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय की फसल को नुकसान पहुंचा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस नुकसान का असर कम से कम तीन महीने तक उत्पादन पर रहेगा. चेंदुवराई, साइलेंट वैली, लेचमी, देविकुलम और नल्लाथन्नी जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में तापमान शून्य डिग्री तक पहुंच गया, जबकि कुछ जगहों पर यह एक डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.
पाले से झुलसी चाय की झाड़ियां
तेज ठंड और पाले की वजह से चाय की झाड़ियों पर भारी दबाव पड़ा है. पत्तियां झड़ने लगी हैं और पौधों की नमी खत्म हो रही है. मुन्नार के लॉकहार्ट एस्टेट जैसे ऊंचाई पर स्थित बागानों में स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है. करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इन इलाकों में तापमान शून्य से नीचे चला गया, जिससे बड़े पैमाने पर पत्तियों को नुकसान हुआ. विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम सामान्य होने, तापमान बढ़ने और हल्की बारिश होने पर ही पौधों की रिकवरी संभव है.
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी ठंड की मार
चाय उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह असामान्य ठंड जलवायु परिवर्तन का नतीजा हो सकती है. ठंडी हवाओं का रुख इस बार सामान्य से अलग रहा, जिससे दक्षिण भारत के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पाला पड़ गया. रात के समय ठंडी और भारी हवा घाटियों की ओर बहने से चाय के खेतों में बर्फ जैसी स्थिति बन गई, जिसने फसल को नुकसान पहुंचाया.
नीलगिरि में छोटे उत्पादक सबसे ज्यादा प्रभावित
नीलगिरि जिले में ऊटी, कोटागिरी और आसपास के इलाकों में भी पाले की स्थिति बनी हुई है. यहां अधिकतर चाय बागान छोटे किसानों के पास हैं, जिनकी आय पूरी तरह चाय की पत्तियों पर निर्भर रहती है. अचानक आई इस ठंड ने उनकी कमाई पर सीधा असर डाला है. स्थानीय संगठनों का कहना है कि अभी नुकसान का सही आकलन करना जल्दबाजी होगी, लेकिन अगले एक-दो हफ्ते में तस्वीर साफ हो जाएगी.
उत्पादन और बाजार पर असर
केरल में सालाना करीब 64 मिलियन किलो चाय का उत्पादन होता है, जिसमें लगभग 25 फीसदी हिस्सेदारी मुन्नार क्षेत्र की है. ऐसे में अगर यहां उत्पादन घटता है तो इसका असर न सिर्फ किसानों पर बल्कि चाय बाजार और निर्यात पर भी पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में मौसम पर लगातार नजर रखना जरूरी है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके और किसानों को समय रहते मदद मिल सके.
मुन्नार और नीलगिरि में पाले की मार ने चाय उद्योग के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. बदलते मौसम के बीच किसानों और उद्योग दोनों को अब मौसम के उतार-चढ़ाव के हिसाब से तैयारी करनी होगी. अगर नुकसान ज्यादा होता है तो इसका असर चाय की किमतों पर भी देखने को मिल सकता है.