किसानों को मिलेगी बंपर उपज, गेहूं, उड़द और भिंडी की बुवाई पर IARI की सलाह

इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई के लिए किसान उन्नत बीजों का इस्तेमाल करें. अधिक उपज के लिए बुवाई से पहले बीजों को उपचारित जरूर करें.

Kisan India
Noida | Updated On: 13 Mar, 2025 | 11:21 AM

देशभर में रबी फसलों की कटाई की शुरुआत हो रही है, जबकि जायद फसलों की बुवाई की जा रही है. किसानों को बंपर पैदावार हासिल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नई दिल्ली ने एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में गेहूं की सिंचाई-कटाई और मूंग, उड़द दालों की खेती की जानकारी किसानों को दी गई है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि वैज्ञानिकों वे गर्म मौसम के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सभी रबी फसलों और सब्जियों में हल्की सिंचाई की सलाह दी है. फसल को गिरने से बचाने के लिए किसानों को सिंचाई सुबह या शाम के समय करने को कहा गया है. क्योंकि उस वक्त हवा की गति धीमी रहती है.

मूंग और उड़द के लिए इन बीजों की बुवाई करें किसान

इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई के लिए किसान उन्नत बीजों का इस्तेमाल करें. मूंग के लिए पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पीडीएम-11, एस एम एल-32, उड़द के लिए पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35, पीडीयू-1 जैसी किस्मों का इस्तेमाल करें. अधिक उपज के लिए बुवाई से पहले बीजों को राईजोबीयम और फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से जरूर उपचारित करें.

भिंडी की अगेती बुवाई में इन किस्मों को चुनें

IARI ने मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे अगर भिंडी की अगेती बुवाई कर रहे हैं तो सही किस्मों का चुनाव करना जरूरी है. इसके लिए किसानों को भिंडी किस्म ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले खेतों में सही नमी का ध्यान रखें. नमी बढ़ाने के लिए खेत की हल्की परेवट भी कर सकते हैं. किसान बुवाई के लिए बीज की मात्रा 10-15 किलो ग्राम प्रति एकड़ रखें.

गेहूं की फसल में रोग नियंत्रण के लिए ये उपाय करें

मैदानी इलाकों में गेहूं की फसल पकने के चरण में है. ऐसे में फसल को कीट, रोगों और अधिक हवा के झोंकों से बचाने की जरूरत है. गेहूं में रतुआ रोग की निगरानी किसान जरूर करते रहें. काला, भूरा या पीला रतुआ अधिक आने पर फसल में डाइथेन एम-45 दवा 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. पीला रतुआ 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फैलता है, जबकि भूरा रतुआ 15-25 डिग्री सेल्सियस के साथ नम जलवायु में अधिक तेजी में फैलता है. काला रतुआ 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान और सूखी जलवायु स्थिति में ज्यादा तेजी से बढ़ता है. ऐसे में किसानों को खेत में नमी की सही मात्रा बनाए रखना जरूरी है.

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Published: 13 Mar, 2025 | 11:18 AM

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