जंगलों का संकट गहराया, भारत बना वन कटाई में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की रिपोर्ट बताती है कि 2001 से 2024 के बीच भारत में 2.31 मिलियन हेक्टेयर ट्री कवर खत्म हुआ है. इसका मतलब है कि देश में 7.1 फीसदी हरियाली कम हो गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 22 May, 2025 | 08:17 AM

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर दुनिया भर में चर्चा तेज हो रही है, लेकिन भारत में जंगलों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (Global Forest Watch) की हाल ही में आई रिपोर्ट ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि देश अपने प्राकृतिक वनों को तेजी से खो रहा है. 2024 में ही भारत ने 18,200 हेक्टेयर प्राथमिक वन (Primary Forest) खो दिए. यह पिछले साल के मुकाबले अधिक है, जब 17,700 हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हुआ था.

क्या होते हैं प्राथमिक वन?

प्राथमिक या प्राइमरी फॉरेस्ट वे जंगल होते हैं जो कई सालों से बिना किसी बड़ी मानवीय छेड़छाड़ के जीवित हैं. ये वन प्राकृतिक रूप से विकसित होते हैं, जैव विविधता के लिए बेहद जरूरी होते हैं और जलवायु नियंत्रण में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन रिपोर्ट कहती है कि इन वनों की स्थिति अब तेजी से खराब हो रही है.

पूर्वोत्तर भारत: हरा-भरा लेकिन सबसे ज्यादा संकट में

भारत के पूर्वोत्तर राज्य जहां हरियाली और जैव विविधता के लिए मशहूर हैं, वहीं अब वही सबसे ज्यादा जंगल खो रहे हैं. असम में सबसे ज्यादा 3.4 लाख हेक्टेयर जंगल खत्म हुआ है. इसके बाद मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर और मेघालय जैसे राज्यों में भी लाखों हेक्टेयर पेड़ कटे हैं. इन राज्यों में शिफ्टिंग खेती (झूम खेती), अवैध कटाई और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की वजह से जंगलों की हालत लगातार खराब होती जा रही है.

जंगलों के कटने से कार्बन उत्सर्जन में बड़ा इजाफा

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की रिपोर्ट बताती है कि 2001 से 2024 के बीच भारत में 2.31 मिलियन हेक्टेयर ट्री कवर खत्म हुआ है. इसका मतलब है कि देश में 7.1 फीसदी हरियाली कम हो गई है. इससे लगभग 1.29 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन हुआ है, जो सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है.

वन कटाई के पीछे के बड़े कारण

भारत में जंगलों के कम होने के पीछे कई वजहें हैं. इनमें सबसे अहम हैं –

  • शिफ्टिंग खेती, जिसमें जंगल काटकर अस्थायी खेती की जाती है
  • स्थायी कृषि विस्तार, जहां खेती के लिए बड़े इलाकों में पेड़ काटे जाते हैं
  • लकड़ी के लिए अवैध कटाई
  • प्राकृतिक आपदाएं
  • शहरीकरण के लिए जंगलों की जमीन का इस्तेमाल.

कुछ बढ़ी हरियाली, पर खतरा बरकरार

हालांकि एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि 2000 से 2020 के बीच भारत ने 1.78 मिलियन हेक्टेयर नया ट्री कवर जोड़ा, लेकिन यह वृक्षारोपण की श्रेणी में आता है. प्राकृतिक जंगलों की जगह पेड़ लगाने से असली जैव विविधता वापस नहीं आती.

वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (UN FAO) के मुताबिक, 2015 से 2020 के बीच भारत हर साल औसतन 6.68 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र खो रहा था. इस रफ्तार से भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है जहां सबसे ज्यादा जंगल खत्म हो रहे हैं.

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