हरियाणा के करनाल जिले में बड़ी खबर सामने आई है. यहां पर किसानों को डीएपी और यूरिया के साथ नैनो यूरिया और अन्य रसायन खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. ये आरोप खुद किसानों ने लगाया है. किसानों का कहना है कि इससे प्रति बोरी 200 से 400 रुपये तक लागत बढ़ गई है. ऐसे में किसानों ने खाद विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान सौरभ ने कहा कि डीएपी और यूरिया की कीमत तय है, लेकिन हमें इन्हें अकेले खरीदने का विकल्प नहीं दिया जा रहा. दुकानदार कहते हैं कि साथ में पोषक तत्व और केमिकल भी लो, नहीं तो खाद नहीं देंगे. यह गलत है और हमें आर्थिक नुकसान हो रहा है. दूसरे किसान नीरज ने भी अपनी परेशानी बताई. उनके अनुसार, ओपन मार्केट में हम जरूरत के अनुसार खाद खरीदते हैं, लेकिन ये जबरन पैकेज में बेच रहे हैं. यह बंद होना चाहिए और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
4.5 लाख एकड़ में धान और 42,000 एकड़ में गन्ना
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. वजीर सिंह, उप निदेशक कृषि (DDA) ने कहा कि जिले में इस खरीफ सीजन के लिए खाद की पर्याप्त आपूर्ति है. उन्होंने कहा कि जिले में 5.3 लाख एकड़ में खरीफ फसल की बुवाई हो रही है. जिसमें 4.5 लाख एकड़ में धान और 42,000 एकड़ में गन्ना है. इसके लिए करीब 95,000 मीट्रिक टन यूरिया और 20,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है. डीएपी की आपूर्ति लगभग पूरी हो चुकी है और अब तक 51,000 मीट्रिक टन यूरिया बेचा जा चुका है.
छह डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी
उन्होंने कहा कि बिक्री में गड़बड़ी रोकने के लिए उपायुक्त उत्तम सिंह ने एसडीएम, तहसीलदार, कृषि अधिकारी और पौध संरक्षण अधिकारी की एक निगरानी समिति बनाई है. करनाल और असंध में अचानक की गई जांच के बाद छह डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और चार डीलरों के लाइसेंस अनियमितताओं के चलते निलंबित कर दिए गए हैं.
शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी
डॉ. सिंह ने कहा कि अगर कोई व्यापारी किसानों को जबरदस्ती गैरजरूरी उत्पाद खरीदने पर मजबूर करता है, तो किसान तुरंत हमें इसकी जानकारी दें. हमने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और ऐसी शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.