किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है कि सही और पर्याप्त मात्रा में खाद दी जाए. ताकि फसल का तेजी से विकास हो सके. आज से समय में किसान जाविक खेती की तरफ अपना रुख कर रहे हैं , इसी कड़ी में किसान अपनी फसलों को केमिकल खाद देने की जगह जैविक खाद दे रहे हैं. जैविक खाद कई तरह की होती हैं और इन्हें आप आसानी से घर में बना सकते हैं. ऐसी ही एक जैविक खाद है जिसे जानवरों की हड्डियों से तैयार किया जाता है और इसे बोन मील कहते हैं. इस खाद के इस्तेमाल से फल और फूलों में तेजी से वृद्धि होती है.
दो तरीके से तैयार की जाती है खाद
- रोस्टेड बोन मील (Roasted Bone Meal)
इस विधि में जानवरों की हड्डियों को अच्छी तरह से धोकर धूप में 4 से 5 दिन के लिए सूखने को छोड़ दें. सूखने के बाद इन हड्डियों को धीमी आंच पर तब तक भूनें जबतक वे कुरकुरी न हो जाएं. जब हड्डियां अच्छे से ठंडी हो जाएं तो उन्हें सिल बट्टे या मिक्सर से बारीक पीस लें. पीसकर तैयार किया पाउडर ही हड्डी की खाद कहलाती है.
- स्टीम्ड बोन मील (Steamed Bone Meal)
इस विधि में हड्डियों को सड़ाकर उनसे खाद तैयार की जाती है. इस विधि से खाद तैयार करने के लिए सबसे पहले हड्डियों को एक ड्रम में भरकर पानी डालें और ढक दें. इसके बाद हड्डियों को ड्रम में करीब 15 से 20 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ दें, समय-समय पर इसे हिलाते रहें. जब हड्डियां नरम हो जाएं तब उन्हें बाहर निकालकर धूप में अच्छे से सुखा लें. जब हड्डियां अच्छे से सूख जाएं तो उन्हें पीसकर पाउडर बना लें.
ऐसे करते हैं इस्तेमाल
गमलों में बोन मील का इस्तेमाल करने के लिए हर 30 से 45 दिन में 1 या 2 चम्मच खाद पाउडर को हर गमले में डालें. गार्डन में इसका इस्तेमाल करने के लिए 200 से 300 ग्राम पाउडर को प्रति वर्गमीटर की दर से डालें. वहीं फसलों में बोन मील को इस्तेमाल करने के लिए मिट्टी की जांच के अनुसार 250 से 500 ग्राम खाद का पाउडर प्रति एकड़ की दर से डालें.
बोन मील के फायदे
खेतों में बोन मील का इस्तेमाल करने से पौधों की जड़ें तेजी से विकास करती हैं. साथ ही फूल और फलों की संख्या में भी बढोतरी होती है. इस खाद की मदद से मिट्टी में भी सुधार आता है और उर्वरता बढ़ती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये खाद पूरी तरह से वातावरण के अनुकूल है.