हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सैंकड़ो युवा अभ्यर्थी सफल होते हैं. इन सफल अभ्यर्थियों में से कइयों की कहानियां छात्रों और समाज के लिए प्रेरणादायक होती हैं. आज हम एक ऐसे सफल अभ्यर्थी की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने UPSC 2024 में 551वीं रैंक हासिल की है. अब उनकी चर्चा केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है. अब वे UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले तमाम युवाओं के लिए प्रेरण स्त्रोत बन गए हैं, जो आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. दरअसल, हम जिस UPSC के सफल अभ्यर्थी के बारे में बात करने जा रहे हैं, उनका नाम डोणे बीरदेव सिद्दप्पा की है.
27 वर्षीय बीरदेव सिद्दप्पा महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के यमगे गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने UPSC 2024 में 551वीं रैंक हासिल की है. बीरदेव का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. गरीब परिवार में जन्मे बीरदेव बचपन में पहाड़ियों पर भेड़ चराते हुए खुले आसमान के नीचे पढ़ाई किया करते थे, क्योंकि सही मायनों में रहने के लिए घर भी नहीं था. लेकिन मुश्किल हालातों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई में हमेशा शानदार प्रदर्शन किया. 10वीं में मुरगुड सेंटर पर टॉप किया. 12वीं में साइंस स्ट्रीम में सबसे ज्यादा अंक लाए.
Every year UPSC exam brings a heartwarming story to the forefront.
This is Birdev. A always smiling and positive boy from Kolhapur, Maharashtra. He came to know about his UPSC result while he was shepherding the family sheep. The family gathered around for his felicitation… pic.twitter.com/gPSYo5LLeW
— Harshal Patil (@harshalpatil233) April 23, 2025
दिल्ली जाकर UPSC की तैयारी शुरू की
इसके बाद उन्होंने पुणे से ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली जाकर UPSC की तैयारी शुरू की. बीरदेव की ये यात्रा बताती है कि अगर इरादा मजबूत हो तो हालात कभी रास्ता नहीं रोक सकते. जब UPSC का रिजल्ट आया, उस वक्त बीरदेव बेलगांव में भेड़ें चरा रहे थे और उन्हें अपनी सफलता की खबर तक नहीं थी. एक दोस्त ने उन्हें फोन कर के बताया कि उनकी मेहनत रंग लाई है.
पहले दो प्रयासों में असफल रहने के बावजूद नहीं हारी हिम्मत
ये सफलता चार साल की लगातार मेहनत और संघर्ष का नतीजा है. पहले दो प्रयासों में असफल रहने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में बाजी मार ली. अब उम्मीद है कि बीरदेव को इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में नियुक्ति मिलेगी. उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन हालातों में भी अपने सपनों को साकार करने का हौसला रखते हैं. वहीं, बीरदेव की सफलता से गांव में खुशी की लहर है.
बेटे की सफलता पर पिता गर्व से भावुक
बीरदेव की सफलता पर उनके पिता सिद्दप्पा डोणे गर्व से भावुक हो गए. भले ही उन्हें सिविल सेवा की बारीक जानकारी न हो, लेकिन वे अपने बेटे की मेहनत और समर्पण को बखूबी जानते थे. बीरदेव की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता की नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों में भी अपने सपनों को जिंदा रखते हैं. उन्होंने दिखा दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और थोड़ा साथ मिले, तो हालात चाहे जैसे भी हों, उन्हें बदला जा सकता है.