अरहर के खेत में इस दवा का करें छिड़काव, 30 फीसदी बढ़ जाएगी उपज.. पत्ती लपेटा कीट से भी मिलेगा छुटकारा
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अरहर की फसल में फूल आने के समय सबसे ज्यादा कीट लगते हैं. खासकर पत्ती लपेटा और फली छेदक जैसे कीड़े पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं. अगर समय पर नियंत्रण न किया गया तो पूरी फसल भी चौपट हो सकती है.
Arhar Farming: नवंबर की दस्तक के साथ ही सर्दी की शुरुआत हो गई है. इसका असर मवेशी के साथ-साथ फसलों के ऊपर पड़ने लगा है. खास कर अरहर की खेती सर्दी के चलते ज्यादा प्रभावित हो रही है. क्योंकि मौसम में बदलाव आने से अरहर के खेतों में कीटों का प्रकोप बढ़ गया है. ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है. अगर समय पर कीटों का इलाज नहीं किया गया तो फसल को नुकसान पहुंच सकता है. इससे पैदावार में गिरावट आएगी. पर अब अरहर की खेती करने वाले किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही कीटों का असर कम हो जाएगा और उपज भी बढ़ जाएगी.
दरअसल, मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में अरहर के पौधों पर पत्ती लपेटा कीट (Leaf Folder) का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है. ऐसे इस साल इस क्षेत्र के किसानों ने बड़े स्तर पर अरहर की खेती की थी. लेकिन कीटों का प्रकोप उनकी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. पत्ती लपेटा कीट के असर के चलते अरहर के पौधे कमजोर हो रहे हैं और पत्तियां सिकुड़ने लगी हैं. इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है.
इस दवा का खेत में करें छिड़काव
हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अरहर की फसल में फूल आने के समय सबसे ज्यादा कीट लगते हैं. खासकर पत्ती लपेटा और फली छेदक जैसे कीड़े पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं. अगर समय पर नियंत्रण न किया गया तो पूरी फसल भी चौपट हो सकती है. ऐसे में किसानों को कीटों से फसल को बचाने के लिए थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन या एमिडा प्लस साइपरमेथ्रिन दवा का खेत में छिड़काव करना चाहिए. इस दवा को 10 से 12 एमएल मात्रा में 15 लीटर पानी में मिलाकर सुबह या दोपहर की धूप में छिड़कना चाहिए, क्योंकि धूप में इसका असर सबसे ज्यादा होता है.
40 फीसदी तक बढ़ जाएगी पैदावार
दरअसल, अगर अरहर की फसल में फूल आने के समय कीट नियंत्रण कर लिया जाए, तो उपज में 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है. इसलिए जब अरहर में दाने बनना शुरू हों, तब पत्ती लपेटा कीट से फसल को बचाने के लिए एक बार फिर दवा का छिड़काव करना चाहिए. अगर जो किसान रासायनिक दवाएं नहीं खरीद सकते, वे घरेलू उपाय अपना सकते हैं. इसके लिए किसान नीमस्त्र का छिड़काव कर सकते हैं.
नीम की पत्तियों से ऐसे बनाएं दवाई
किसान नीमस्त्र को अपने घर पर भी तैयार कर सकते हैं. इसके लिए नीम की पत्तियों की चटनी बनाकर उसमें 2 लीटर गोमूत्र और 100 लीटर पानी मिलाएं. इस मिश्रण को 24 से 48 घंटे तक रखकर छान लें और फिर फसल पर छिड़कें. इसके अलावा, खेतों में येलो ट्रैप लगाकर उड़ने वाले कीटों को भी आसानी से रोका जा सकता है.