पुसा-44 से किसानों का नहीं भंग हो रहा मोह, प्रतिबंध के बावजूद इस वजह से कर रहे बुवाई

पंजाब सरकार ने गिरते भूजल स्तर को देखते हुए पुसा-44 जैसी धान की किस्मों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन किसान अब भी इसकी खेती कर रहे हैं. ज्यादा उपज और निजी खरीदारों की गारंटी के चलते किसान प्रतिबंधों की अनदेखी कर रहे हैं.

नोएडा | Updated On: 29 Jun, 2025 | 08:30 AM

पंजाब सरकार ने गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए पुसा-44 और हाईब्रिड धान की किस्मों की खेती पर बैन लगा दिया है. लेकिन इसके बावजूद भी किसान इसकी बुवाई कर रहे हैं. अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश नेता बलदेव सिंह लाटाला के नेतृत्व में किसानों ने कहा कि पुसा-44 किस्म की खेती पर रोक के बावजूद किसान इसे इसलिए उगाते हैं, क्योंकि इससे अधिक उपज मिलती है और चावल मिल मालिकों व निजी व्यापारियों द्वारा सीधे खरीद हो जाती है. लाटाला ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में टूटे चावल और अन्य पोषण संबंधी मानकों के बहाने किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. इससे तंग आकर अब किसान प्रतिबंधों की परवाह नहीं करते.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों ने माना कि उन्होंने प्रतिबंधित किस्मों की रोपाई का फैसला सोच-समझकर लिया था और प्रीमियम कीमत पर इनके पौधे खरीदे. क्योंकि कमीशन एजेंटों और निजी व्यापारियों ने भरोसा दिलाया था कि सरकारी खरीद सीजन शुरू होने से पहले ही उनकी फसल खरीद ली जाएगी. चन्ना गांव के हरजिंदर सिंह समरा ने अफसोस जताया कि सरकार ने पुसा-44 जैसी किस्म पर प्रतिबंध लगाने से पहले किसानों को पानी के गिरते स्तर को लेकर जागरूक नहीं किया.

ज्यादा उपज देने वाली किस्मों की खेती

पुसा-44 देर से पकती है और ज्यादा पानी की जरूरत होती है. समरा ने यह भी कहा कि प्रशासन की इस मुद्दे पर गंभीरता की कमी भी इस अव्यवस्था का एक बड़ा कारण है. समरा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसान मुनाफा बढ़ाने की सोच में रहते हैं. ऐसे में जब प्रतिबंध लगाने वाली एजेंसियां खुद सख्ती नहीं दिखातीं, तो किसान अधिक उपज देने वाली किस्मों की खेती करना जारी रखते हैं.

बिक्री, भंडारण और खेती पर प्रतिबंध

किसानों ने सरकार से अपील की है कि जो किसान वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई धान की किस्में उगा रहे हैं, उनके हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाए और अगर किसी किस्म पर प्रतिबंध लगाया गया है, तो उसे सख्ती से लागू किया जाए. पंजाब सरकार ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशों के आधार पर पुसा-44 सहित लंबी अवधि में पकने वाली धान की किस्मों की बिक्री, भंडारण और खेती पर प्रतिबंध लगाया है. इस प्रतिबंध का मकसद मंडियों में होने वाली दिक्कतों को रोकना और गिरते भूजल स्तर को संभालना है.

Published: 29 Jun, 2025 | 08:27 AM