बुवाई के समय और सिंचाई के बाद कितनी मात्रा में देनी चाहिए खाद, कितना होगा नाइट्रोजन का अनुपात?
मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई शुरू हो गई है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, अधिक रासायनिक खाद नुकसानदायक हो सकती है. किसान मिट्टी जांच कर संतुलित उर्वरक जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और जिंक का सही मात्रा में उपयोग कर अच्छी पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं.
Wheat sowing: मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू हो गई है. किसान गेहूं बुवाई के दौरान जमकर रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन किसानों को मालूम होना चाहिए कि जरूरत से ज्यादा रासायनिक खादों का इस्तेमाल फसल के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है. खास कर रासायनिक खदों की अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है. इसलिए जरूरी है कि गेहूं की बुवाई करने से पहले किसान जान लें कि कितनी मात्रा में फास्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन का खेत में छिड़काल करना चाहिए.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, आमतौर पर गेहूं की बुवाई नवंबर के पहले हफ्ते से शुरू हो जाती है. लेकिन कई राज्य में किसान 10 अक्टूबर के बाद से ही गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई शुरू कर देते हैं. एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि बुवाई के समय उर्वरक का संतुलित इस्तेमाल जरूरी है, क्योंकि ये पौधों के लिए भोजन की तरह काम करते हैं. लेकिन इससे पहले मिट्टी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि उसमें कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कौन से पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं. इससे उर्वरक का सही इस्तेमाल कर अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
पौधों की ग्रोथ के लिए उर्वरक बहुत है जरूरी
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अच्छी पैदावार और पौधों की ग्रोथ के लिए उर्वरक बहुत जरूरी होते हैं. ये मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं, जिससे फसल स्वस्थ रहती है. अगर आप गेहूं की बुवाई की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले मिट्टी की जांच जरूर करवाएं. इससे यह पता चलेगा कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्व कम हैं और किस उर्वरक की कितनी जरूरत है. हालांकि अगर किसी वजह से किसान मिट्टी की जांच नहीं करवा पाते, तो वे उर्वरक का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल करें, ताकि फसल को जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें.
कितनी मात्रा में डालें सल्फर
अगर किसान अभी तक मिट्टी की जांच नहीं कर पाए हैं, तो वे एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार संतुलित मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. प्रति एकड़ 60 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फास्फोरस, 25 किलो पोटाश के साथ 10-10 किलो सल्फर और जिंक देना फायदेमंद रहेगा. फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और जिंक की पूरी मात्रा बुवाई के समय ही एक साथ बेसल डोज के रूप में दी जा सकती है. लेकिन नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटना चाहिए. पहला हिस्सा पहली सिंचाई के समय और दूसरा हिस्सा दूसरी सिंचाई के दौरान देना बेहतर होता है, ताकि पौधे को पूरे समय पोषण मिलता रहे.