कम खर्च में तिल की खेती दिलाएगी ज्यादा पैदावार, किसानों के लिए कमाई का बेस्ट ऑप्शन

तिल की खेती कम लागत और मेहनत में अधिक मुनाफा देती है, इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई और फसल चक्र का उपयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 30 Jun, 2025 | 09:00 AM

सेसम सीड्स यानी तिल आमतौर पर हर भारतीय घरों में बड़े आसानी से देखने को मिल जाता हैं. यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता हैं. वहीं खेती-किसानी करने वाले भाईयों के लिए आज के समय में ऐसी फसलें चुनना भी बेहद जरूरी हो गया है, जिनमें लागत कम, मेहनत कम लगे और बाजार में अच्छी कीमत मिल सकें. किसानों के लिए तिल की खेती एक बेहतरीन विकल्प है.

तिल एक पारंपरिक फसल है, जो हजारों सालों से भारत में उगाई जाती रही है. बदलते मौसम और पानी की कमी जैसी चुनौतियों के बीच तिल की खेती किसानों के लिए फायदेमंद सौदा साबित हो सकती है. आज तिल का इस्तेमाल न सिर्फ खाने में बल्कि तेल निकालने और दवाइयों में भी किया जाता है. इसकी मांग भी हर मौसम में बनी रहती है.

तिल उगाने के फायदे

तिल (Sesamum indicum) एक बहुपयोगी फसलों में से एक है. वैसे तो इसकी खेती खास तौर पर बीजों के लिए की जाती हैं. इसके बीज न सिर्फ खाने के लिए बढ़िया होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद होते हैं वहीं इन बीजों का इस्तेमाल तेल निकालने के लिए में भी किया जाता है. यही कारण है कि बाजार में इसकी मांग और कीमत हमेशा बढ़ी रहती है.

कैसे करें तिल की खेती

तिल की खेती करने के लिए जुलाई का महीना सबसे बेस्ट माना गया हैं. इसके साथ ही फसलों की अच्छी पैदावार के लिए सही बीजों का चुनाव करना काफी जरूरी होता हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार तिल के बीजों को अच्छी जल निकासी वाली हल्की रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिट्टी का पीएच लेवल 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. जब पौधे अंकुरित हो जाएं तब पौधे को एक-दूसरे से लगभग 6 इंच की दूरी पर और कतारों में 24-36 इंच की दूरी पर लगाना चाहिए. यह पौधा गर्म और सूखे इलाकों में बहुत अच्छा पनपता है और एक बार जम जाए तो ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. खेत सूखने पर ही सिंचाई करें. बहुत ज्यादा पानी देने से पौधे कमजोर हो सकते हैं. इसलिए ड्रिप सिंचाई या पाइप से हल्की सिंचाई ही करें.

कब और कैसे करें तिल की कटाई

गर्मी के आखिर में तिल के पौधे के नीचे से फलियां पकने लगती हैं. जैसे ही फलियां भूरे रंग की होने लगें और हल्के-हल्के फटने लगे समझ जाइए कि फसल तैयार है. पौधे की पूरी डंडी काटकर पेपर बैग या टोकरी में उल्टी टांग दें. जब फलियां पूरी तरह सूख जाएं तो बीज खुद-ब-खुद गिरने लगेंगे. बीजों को छानकर साफ कर लें और आप ताजा तिल खाने या बेचने के लिए तैयार हैं.

तिल की खेती से किसानों को क्या फायदा

तिल एक सूखा सहन करने वाली फसल है. जहां दूसरी फसलों को बार-बार पानी चाहिए होता है, वहीं तिल को बहुत कम पानी में भी उगाया जा सकता है. खासकर उन इलाकों में जहां गर्मी ज्यादा पड़ती है और पानी की कमी रहती है, वहां तिल की खेती शानदार विकल्प है.

तिल की खेती में बीज, खाद और सिंचाई पर बहुत कम खर्च आता है. इसकी देखभाल भी ज्यादा नहीं करनी पड़ती. तिल के पौधे कठिन हालात में भी बढ़िया फसल देते हैं, जिससे किसानों को मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. इसके बीज के साथ-साथ इसके पौधे भी उपयोगी होते हैं. बचे हुए पौधों को चारे के तौर पर जानवरों को खिलाया जा सकता है. साथ ही तिल का तेल भी कई आयुर्वेदिक दवाइयों और स्किन प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होता है, जिससे इसकी कीमत और बढ़ जाती है.

इसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तिल की लगातार अच्छी मांग रहती है जिसे किसान चाहे तो सीधे बाजार में बीज बेच सकते हैं या फिर प्रोसेसिंग यूनिट को सप्लाई कर अतिरिक्त फायदा कमा सकते हैं. तिल की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं और मिट्टी की उर्वरता को भी बेहतर बनती हैं. फसल चक्र (crop rotation) में तिल को शामिल करने से मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार आता है. तिल के पौधे बेमौसम हल्की बारिश या सामान्य कीटों के प्रति भी प्रतिरोधी माना जाता हैं. इस वजह से किसानों का नुकसान भी कम होता हैं.

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Published: 30 Jun, 2025 | 09:00 AM

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