अब सैटेलाइट से होगी फसल नुकसान की पहचान, किसानों को मिलेगा तुरंत मुआवजा

इस तकनीक के जरिए सरकार हर 7 दिन में सैटेलाइट से तस्वीरें लेकर खेतों की स्थिति देख सकेगी. इससे ना सिर्फ नुकसान का सटीक आकलन होगा, बल्कि समय पर किसानों को राहत भी मिल सकेगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 28 Apr, 2025 | 02:52 PM

हर बार जब किसान की फसल बर्बाद होती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि मुआवजा कब मिलेगा? अब ये इंतजार की घड़ी छोटी होने वाली है. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत अब फसल नुकसान का सर्वे जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान से, सैटेलाइट तस्वीरों की मदद से किया जाएगा. इस तकनीक का इस्तेमाल पहले पराली जलाने वाले किसानों पर नजर रखने के लिए किया जाता रहा है. अब इस तकनीक की मदद से किसानों को पारदर्शी और समय पर मुआवजा मिल सकेगा.

राज्य के कृषि विभाग के अनुसार अब से हर प्राकृतिक आपदा के बाद, फसल नुकसान का आकलन NDVI यानी नॉर्मलाइज्ड डिफरेंस वेजिटेशन इंडेक्स के आधार पर किया जाएगा. हालांकि, यह सिस्टम सूखे (drought) के मामलों में लागू नहीं होगा.

NDVI क्या है और ये कैसे काम करता है?

NDVI एक ऐसी तकनीक है, जो पौधों की हरियाली और उनकी सेहत का पता लगाती है. यह मापती है कि पौधे कितनी रोशनी को सोख रहे हैं और कितनी रोशनी को बाहर भेज रहे हैं. NDVI का स्कोर -1 से लेकर +1 तक होता है. अगर स्कोर +1 के पास होता है, तो इसका मतलब है कि फसल बहुत स्वस्थ है. वहीं, अगर स्कोर 0 या उससे कम होता है, तो यह दिखाता है कि फसल को गंभीर नुकसान हुआ है.

इस तकनीक के जरिए सरकार हर 7 दिन में उपग्रह से तस्वीरें लेकर खेतों की स्थिति देख सकेगी. इससे ना सिर्फ नुकसान का सटीक आकलन होगा, बल्कि समय पर किसानों को राहत भी मिल सकेगी.

पूरे राज्य में एक साथ लागू होगी योजना

शुरुआत में इस योजना को एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरे राज्य में एक ही चरण में लागू करने का फैसला लिया है. इस साल यह योजना जनवरी में शुरू होने वाली थी, लेकिन तकनीकी तैयारियों की वजह से अब तीन महीने बाद लागू किया है.

क्यों जरूरी थी यह तकनीक?

कई बार स्थानीय नेताओं या जनप्रतिनिधियों के दबाव में फसल क्षति का आकलन बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है ताकि अधिक मुआवजा लिया जा सके. इससे सरकार पर अनावश्यक बोझ पड़ता है. NDVI जैसी तकनीक इन गलतियों को रोकने और निष्पक्ष आकलन करने में मदद करेगी.

ये संस्थाएं होंगी शामिल

इस योजना को लागू करने के लिए परभणी की वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय और ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड एग्रोमेट्रोलॉजी प्रोजेक्ट की मदद ली जाएगी. इस परियोजना के लिए सरकार ने ₹1 करोड़ का बजट भी मंजूर किया है.

पहले ये हो रहा है तकनीक का इस्तेमाल

मध्य प्रदेश पहले से ही NDVI तकनीक का उपयोग कर रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने वहां की प्रणाली का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि 2025-26 के खरीफ सीजन में मराठवाड़ा, विदर्भ, पश्चिमी और उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ जिलों में NDVI के साथ-साथ NDWI, VCI, EVI और SAVI जैसे अन्य संकेतकों का भी उपयोग किया जाए.

किसानों के लिए क्या बदलेगा?

अब किसानों को मुआवजे के लिए किसी अफसर का इंतजार नहीं करना होगा. उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सीधे तय किया जाएगा कि कितनी फसल खराब हुई है और कितनी सहायता दी जानी चाहिए. इससे मुआवजे की पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी.

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Published: 28 Apr, 2025 | 02:52 PM

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