“कर्ज लेकर खेत बचाना या जमीन खो देना?” ये सवाल आज भी महाराष्ट्र के हजारों किसानों की रोजमर्रा की हकीकत है. न जाने कितने ही किसान निजी साहूकारों के शिकंजे में फंसे और अपनी फसलें, जमीनें और यहां तक की अपनी जिंदगी तक खो बैठते हैं. लेकिन अब हालात बदल सकते हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए साहूकारों पर सख्ती शुरू कर दी है. अब राज्य के सभी 12,000 से अधिक निजी साहूकारों को यह अनिवार्य रूप से बताना होगा कि वे कितना ब्याज ले रहे हैं और उनका लाइसेंस नंबर क्या है. यह जानकारी एक स्पष्ट बोर्ड पर उनकी दुकान या दफ्तर के बाहर लगानी होगी, वरना कार्रवाई तय है.
क्यों थी इसकी जरूरत?
हर साल महाराष्ट्र में करीब 2700 से 2800 किसान आत्महत्या कर लेते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है साहूकारों से लिया गया कर्ज, जिस पर बहुत ज्यादा ब्याज लिया जाता है. जब किसान कर्ज चुका नहीं पाते, तो कई बार उनकी जमीनें तक छीन ली जाती हैं. अक्सर ये किसान अनपढ़ या कम पढ़े होते हैं, जो कर्ज की शर्तें ठीक से नहीं समझ पाते और साहूकारों की बातों में आकर परेशान हो जाते हैं. धीरे-धीरे ये कर्ज उनके लिए बोझ बन जाता है और वे टूट जाते हैं.
ये हैं नए नियम
- राज्य के सहकारिता विभाग ने 2 जून 2025 को एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया है:
- हर साहूकार को 15 जून 2025 तक अपनी दुकान या ऑफिस के बाहर एक बोर्ड लगाना अनिवार्य है.
- इस बोर्ड पर लाइसेंस नंबर और ब्याज दरें स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए.
- जिन साहूकारों के पास लाइसेंस नहीं है, या जो नियम नहीं मानते, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
ब्याज दरें क्या हैं नियम अनुसार?
महाराष्ट्र मनी लेंडिंग (रेग्युलेशन) एक्ट 2014 के अनुसार, किसानों को अगर जमीन गिरवी रखकर लोन दिया जाए तो अधिकतम 9 फीसदी ब्याज लिया जा सकता है. बिना गिरवी के यह ब्याज दर 12 फीसदी तक हो सकती है. वहीं, गैर-किसानों जैसे मजदूरों या छोटे व्यापारियों को लोन देने पर गिरवी के साथ 15 फीसदी और बिना गिरवी 18 फीसदी तक ब्याज तय किया गया है.
लेकिन असल जिंदगी में कई साहूकार इन तयशुदा दरों से कहीं ज्यादा ब्याज वसूलते हैं. किसान अक्सर इन शर्तों को समझ नहीं पाते और मजबूरी में कर्ज ले लेते हैं. धीरे-धीरे यह कर्ज उनके लिए इतना भारी हो जाता है कि वे मानसिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट जाते हैं.
निगरानी कैसे होगी?
हर जिले में सहकारिता विभाग के उप-पंजीयक (DDR) साहूकारों की जांच करेंगे. वे फोटो के साथ रिपोर्ट बनाएंगे, जिससे नियम न मानने वालों का लाइसेंस रिन्यू न किया जाए. जिनके पास लाइसेंस नहीं है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी, क्योंकि ऐसा कर्ज कानून के तहत अवैध माना जाएगा.
सरकार ने अब तक क्या किया है?
2014 में कानून लागू होने के बाद से अब तक सरकार ने करीब 750 हेक्टेयर जमीन किसानों को वापस दिलाई है, जो साहूकारों ने जबरन अपने कब्जे में ले ली थी. अब सरकार हर जिले में बनी कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक (SP) और सहकारिता अधिकारी की समिति को और सक्रिय बना रही है. कलेक्टर और SP पर काम का दबाव देखते हुए, उनके डिप्टी अधिकारियों को कार्रवाई के अधिकार दिए जाएंगे ताकि शिकायतों पर तेजी से फैसला लिया जा सके.