REPORT: भारत में डेयरी की बादशाहत बरकरार, 71 फीसदी भारतीयों की थाली में रोज रहता है दूध-दही
भारत में चाय–कॉफी सिर्फ पेय नहीं, एक जुड़ाव है परिवार का, पड़ोस का, दफ्तर का और इस रस्म का असली नायक है दूध. अध्ययन कहता है कि 59 फीसदी भारतीय दूध ज्यादातर अपनी दूध वाली चाय या मिल्क कॉफी के जरिए ही लेते हैं.
भारत में दूध सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि घर–घर की रोजमर्रा का अहम हिस्सा है. सुबह की चाय से लेकर रात की हल्की नींद तक, दूध कहीं न कहीं हमारा साथ निभाता है. बदलती दुनिया, आधुनिक खान–पान, नए ट्रेंड, कुछ भी इस पुराने रिश्ते को कमजोर नहीं कर पाए हैं. एक ताजा अध्ययन बताता है कि आज भी हर 10 में से 7 भारतीय अपने दिन में दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थ जरूर शामिल करते हैं. यानी दूध, हमारे आहार का नहीं बल्कि हमारी आदतों, यादों और भावनाओं का हिस्सा है.
दूध पीने का तरीका बदला है, लेकिन प्यार नहीं
पहले घरों में शाम होते ही स्टील के गिलास में गर्म–गर्म दूध परोसा जाता था. आज वही दूध नए रूपों में हमारे सामने है, कभी स्मूदी बनकर, कभी कोल्ड कॉफी बनकर, तो कभी प्रोटीन शेक के रूप में.
गोडरेज जर्सी की रिपोर्ट बताती है कि 58 फीसदी भारतीय अब फ्लेवर्ड दूध पीना पसंद करते हैं, वहीं, 51 फीसदी लोग इसे स्मूदी में मिलाकर पीते हैं और लाखों लोग इसे सीरियल बाउल का हिस्सा बना चुके हैं. पर दिलचस्प बात यह है कि जितने भी तरीके बदल जाएं, दूध की जगह कोई नहीं ले पाता.
चाय और कॉफी में दूध
भारत में चाय–कॉफी सिर्फ पेय नहीं, एक जुड़ाव है परिवार का, पड़ोस का, दफ्तर का और इस रस्म का असली नायक है दूध. अध्ययन कहता है कि 59 फीसदी भारतीय दूध ज्यादातर अपनी दूध वाली चाय या मिल्क कॉफी के जरिए ही लेते हैं. त्योहारों में भी दूध की मिठास अलग ही होती है. 41 फीसदी लोग त्योहार पर फ्लेवर्ड दूध को अपनी ‘स्पेशल ड्रिंक’ कहते हैं.
दूध से जुड़ी बचपन की यादें आज भी जिंदा हैं
हर भारतीय परिवार में दूध से जुड़ी कोई न कोई प्यारी याद जरूर होती है—
- स्कूल जाने से पहले मां का वो जबरदस्ती दूध पिलाना
- रात को नींद आने से पहले गरम दूध की खुशबू
- दादी के हाथों की ‘दूध–रोटी’
- कई घरों में चाय की जगह बच्चों को दूध देना
अध्ययन कहता है कि आधे से ज्यादा भारतीय आज भी दूध इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें अपना बचपन याद आता है.
दूध में सिर्फ स्वाद नहीं, यादें भी घुली होती हैं.
माता–पिता की चिंता
रिपोर्ट में एक अहम बात सामने आई है—
- 64 फीसदी माता–पिता चिंतित हैं कि आज के बच्चे उतना दूध नहीं पीते, जितना वे अपने बचपन में पीते थे.
उन्हें लगता है कि इससे बच्चों की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. - 73 फीसदी माता–पिता दूध को कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत मानते हैं
- 62 फीसदी कहते हैं कि यह ऊर्जा देता है
- 60 फीसदी इसे फिटनेस से जोड़ते हैं
बदलते खान पान में भी माता पिता चाहते हैं कि दूध बच्चों की रूटीन का हिस्सा बना रहे.
दही, पनीर और मक्खन
दूध भले ही नए नए पेयों में बदल रहा हो, लेकिन डेयरी उत्पाद अब भी हर प्लेट के सितारे हैं—
- 80 फीसदी लोग रोज दही खाते हैं
- 76 फीसदी लोग पनीर पसंद करते हैं
- 74 फीसदी घरों में मक्खन का नियमित उपयोग होता है
यानी दूध भले बॉटल से ग्लास में न पहुंचे, पर रूप बदलकर भारतीय थाली तक जरूर पहुंचता है.
फिटनेस और स्वाद साथ–साथ
गोडरेज जर्सी के अनुसार दूध का सफर अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. युवा पीढ़ी के बीच फिटनेस–केंद्रित उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिसके चलते प्रोटीन युक्त पेय और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. कंपनियां ऐसे उत्पादों में निवेश कर रही हैं जो स्वाद, पोषण और सुविधा तीनों का संतुलन बनाए रखें. यह संकेत है कि आने वाले समय में दूध का उपयोग और भी विविध रूपों में बढ़ता जाएगा.