रेबीज सिर्फ कुत्तों से नहीं.. बड़े पशुओं से भी फैलने का खतरा, कच्चा दूध पीना आपके लिए बन सकता है जानलेवा

रेबीज अब सिर्फ कुत्तों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गाय और भैंसों के जरिए भी फैल सकता है. कच्चा दूध इसका सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है, जिसे कई लोग बिना उबाले पी लेते हैं. पशुपालकों के लिए सावधानी, टीकाकरण और स्वच्छता बेहद जरूरी है ताकि संक्रमण से बचाव हो सके.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 18 Nov, 2025 | 03:55 PM

Animal Infection : गांवों में पशुपालन सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा है. सुबह-शाम जानवरों की देखभाल, दूध निकालना और उसे बाजार तक पहुंचाना… यह पूरी प्रक्रिया किसान परिवारों की कमाई का आधार होती है. लेकिन सोचिए, अगर आपकी गाय या भैंस किसी ऐसे खतरे का शिकार हो जाए, जिसके बारे में लोग सोचते भी नहीं-तो? रेबीज सिर्फ कुत्तों से फैलने वाला रोग नहीं है, बल्कि यह बड़े पशुओं यानी गाय और भैंसों में भी दस्तक दे सकता है. और सबसे डरावनी बात-यह खतरा इंसानों तक कच्चे दूध के जरिए पहुंच सकता है. अब जानिए कि यह गंभीर बीमारी कैसे फैलती है, इसके लक्षण क्या हैं और पशुपालक किन बातों का ध्यान रखकर अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं.

रेबीज सिर्फ कुत्तों में नहीं, बड़े पशुओं में भी फैलता है

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आमतौर पर लोगों की धारणा है कि रेबीज केवल कुत्तों को काटने  से फैलता है, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. यह वायरस गाय, भैंस और अन्य बड़े पशुओं में भी प्रवेश कर सकता है. यदि कोई संक्रमित कुत्ता  किसी पशु को काट ले, तो वायरस उनके शरीर में फैल सकता है. हालांकि बड़े पशुओं में इसके लक्षण बहुत तीव्र नहीं दिखते, लेकिन बीमारी अंदर-ही-अंदर असर करती रहती है. यही कारण है कि कई बार पशुपालक यह समझ ही नहीं पाते कि उनका जानवर संक्रमित है.

कच्चा दूध पीना सबसे बड़ा खतरा

अगर गाय या भैंस  में रेबीज का वायरस मौजूद है, तो इसका सबसे बड़ा खतरा उन लोगों को होता है जो कच्चा दूध पीते हैं. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि कच्चा दूध वायरस को सीधे इंसान के शरीर में पहुंचा सकता है. ऐसी स्थिति में दूध का सेवन घातक साबित हो सकता है. लेकिन राहत की बात यह है कि दूध को उबालने से रेबीज वायरस नष्ट हो जाता है. यानी उबला दूध पीना सुरक्षित माना जाता है.

दूध देने से पहले थन चाटना

गाय और भैंसें दूध निकालने से पहले अक्सर अपने थन को चाटती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर पशु के शरीर में किसी भी प्रकार का हल्का-सा संक्रमण भी हो, तो यह आदत बैक्टीरिया और वायरस  के फैलने की संभावना बढ़ा सकती है. हालांकि यह बहुत बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन स्वच्छता की अनदेखी कई समस्याओं का कारण बन सकती है. ऐसे में दूध निकालने से पहले थन की सफाई और नियमित देखभाल बेहद जरूरी है.

ध्यान न दिया तो दूध बन सकता है जहर

पशुपालन करने वाले परिवारों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि रेबीज सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि जानलेवा खतरा है. संक्रमित पशु का दूध बेचने या उपयोग करने पर यह बीमारी इंसान तक पहुंच सकती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई बार जानवरों में इसके लक्षण कम दिखाई देते हैं-जैसे हल्का बुखार, बेचैनी, पानी से डरना या कमजोरी. इन्हें सामान्य थकान या मौसम का असर समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मामलों में तुरंत सावधानी बरतना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है.

बचाव ही सबसे बड़ा उपाय

पशुओं को समय-समय पर रेबीज का टीका  लगवाना हर पशुपालक की जिम्मेदारी होनी चाहिए. यह न सिर्फ गाय-भैंस को सुरक्षित रखता है, बल्कि परिवार को भी संभावित संक्रमण से बचाता है. अगर किसी संदिग्ध कुत्ते ने आपके पशु को काट लिया है, तो सबसे पहले उसे अलग करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. जब तक स्थिति पूरी तरह साफ न हो जाए, तब तक उसका कच्चा दूध बिल्कुल ना पिएं और ना ही किसी को बेचें. यह छोटा-सा कदम बड़ी समस्या को रोक सकता है.

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