Madhya Pradesh News: सोयाबीन एक ऐसी फसल है जिसे प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है. इससे न केवल तेल निकाला जाता है, बल्कि अब सोया दूध और सोया पनीर (टोफू) जैसे उत्पादों की मांग भी लोगों के बीच तेजी से बढ़ रही है. यही कारण है कि किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ सोया मिल्क प्लांट लगाकर एक्स्ट्रा कमाई कर रहे हैं. इसी कड़ी में भोपाल स्थित केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (ICAE) ने सोया मिल्क प्लांट तैयार किया है. इस मशीन की खासियत है कि इसकी मदद से किसान आसानी से सोया दूध, सोया पनीर और अन्य पौष्टिक उत्पाद तैयार कर सकते हैं. ICAE भोपाल की वैज्ञानिक डॉक्टर समलेश ने बताया कि इस मशीन को इस्तेमाल करने के लिए खास ट्रेनिंग भी दी जाती है.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
ICAE भोपाल द्वारा तैयार किए गए इस प्लांट का इस्तेमाल करने वाले रांची के एक किसान ने बताया कि वे हर दूसरे दिन लगभग 70 लीटर सोया दूध और 10 किलो टोफू तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में इन उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. बता दें कि, बाजार में एक लीटर सोया दूध 40 रुपए और एक किलो सोया टोफू 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है. जबकि, एक लीटर दूध की लागत 15 रुपये और टोफू की लागत 50 रुपये है. उन्होंने बताया कि इस तरह उन्हें साल भर में 5 लाख 91 हजार 500 रुपए तक शुद्ध मुनाफा हो जाता है. इतना ही नहीं, उनके द्वारा लगाए गए इस छोटे प्लांट से 5 लोगों को रोजगार भी मिला है.

सोयाबीन प्लांट से बना सोया मिल्क
1985 में लगा था पहला प्लांट
ICAE भोपाल की वैज्ञानिक डॉक्टर समलेश ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्लांट को सबसे पहले साल 1985 में लगाया गया था जो कि 20 सालों तक काम करता रहा. उन्होंने बताया कि प्लांट के इस्तेमाल की पहली ट्रेनिंग USA से मिली थी. उन्होंने बताया कि इस प्लांट का इस्तेमाल किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता है, इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जाता है. उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि 20 साल बाद अब फिर से नया प्लांट लगाया गया है जिसका इस्तेमाल ट्रेनिंग देने के लिए किया जा रहा है.

ICAE वैज्ञानिक डॉक्टर समलेश
4 हजार किसानों को खास ट्रेनिंग
डॉक्टर समलेश ने बताया कि ICAE भोपाल में 4 हजार किसानों को खास ट्रेनिंग दी जा रही है, उन्होंने बताया कि किसानों को जागरुक किया जा रहा है कि सोया दूध और टोफू से भी अच्छी मात्रा में प्रोटीन मिलता है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ट्रेनिंग पाकर 300 ट्रेनी अपना खुद का प्लांट चला रहे हैं जो कि महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के गाजियाबा जिले में स्थित हैं.