नीम की खेती किसानों के लिए वरदान, मिट्टी उपजाऊ बनाने से लेकर कीट नियंत्रण तक फायदे ही फायदे
पिछले कुछ वर्षों में किसानों में नीम की खेती की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. कारण साफ हैकम लागत, लंबी उम्र, प्राकृतिक कीटनाशक और मजबूत मार्केट मांग. नीम का पेड़ 50 से 200 साल तक जीवित रह सकता है और एक बार लगाया गया पौधा आने वाले दशकों तक फायदा देता रहता है.
भारत में नीम को दवा का पेड़ कहा जाता है. गांव हो या शहर, घरों के आसपास लगाया गया नीम सिर्फ छाया ही नहीं देता बल्कि countless औषधीय और कृषि लाभ भी प्रदान करता है. आज जब किसान कम लागत वाली, टिकाऊ और सुरक्षित खेती की तलाश में हैं, ऐसे समय में नीम की खेती एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रही है. यह न केवल कृषि सुधार में मदद करता है बल्कि आय के नए रास्ते भी खोलता है. इसकी खास बात यह है कि इसे बहुत कम देखभाल की जरूरत होती है और यह कठिन परिस्थितियों में भी शानदार ढंग से बढ़ता है.
नीम की खेती क्यों बनी किसानों की पहली पसंद?
पिछले कुछ वर्षों में किसानों में नीम की खेती की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. कारण साफ हैकम लागत, लंबी उम्र, प्राकृतिक कीटनाशक और मजबूत मार्केट मांग. नीम का पेड़ 50 से 200 साल तक जीवित रह सकता है और एक बार लगाया गया पौधा आने वाले दशकों तक फायदा देता रहता है.
नीम के लिए जलवायु और जमीन कैसी होनी चाहिए?
नीम गर्म और शुष्क क्षेत्रों में बेहद अच्छा बढ़ता है. यह 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है. यह लगभग हर तरह की मिट्टी में उग जाता है,पथरीली, बलुई, दोमट, यहां तक कि थोड़ी खराब मिट्टी में भी. सबसे अच्छी ग्रोथ अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में होती है.
सिंचाई की जरूरत बहुत कम
नीम सूखा सहन करने वाले पौधों में शामिल है. शुरुआती एक वर्ष हल्की सिंचाई से बढ़िया ग्रोथ मिलती है, लेकिन बाद में पेड़ खुद को प्राकृतिक मौसम के अनुसार ढाल लेता है.
रोपाई का सही समय और पौध तैयार करना
नीम लगाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त, यानी मानसून का सीजन है. इस वक्त मिट्टी में नमी रहती है जिससे पौधा जल्दी पकड़ बनाता है. किसान नर्सरी से 1–1.5 फीट ऊंचे पौधे खरीदकर आसानी से खेत या मेड़ पर लगा सकते हैं.
नीम के पेड़ की देखभाल कैसे करें?
नीम की खेती में काम बहुत कम होता है. शुरुआती दो साल तक पौधे के आसपास से खरपतवार हटाते रहें. इसके अलावा गर्मियों में कभी-कभी पानी दें, जंगली जानवरों से सुरक्षा करें और तीसरे वर्ष से पौधा पूरी तरह मजबूत होकर खुद-ब-खुद बढ़ने लगता है.
किसानों को नीम से मिलते हैं ये बड़े आर्थिक फायदे
1. अतिरिक्त आय का पक्का जरिया
नीम से मिलने वाले उत्पाद:
- नीम का तेल
- बीज
- पत्तियां
- छाल
- लकड़ी
नीम के बीजों से निकला तेल जैविक कीटनाशक, साबुन, कॉस्मेटिक, फार्मा इंडस्ट्री और फर्टिलाइजर कोटिंग में इस्तेमाल होता है. इसकी बाजार में सालभर मांग रहती है, इसलिए किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
2. रासायनिक कीटनाशक से छुटकारा
नीम का तेल, नीम खली, नीम अर्क ये सभी बेहतरीन जैविक कीटनाशक हैं.किसान इन्हें अपनी फसलों में इस्तेमाल करके कीटों का नियंत्रण, मिट्टी की उर्वरता में सुधार,उत्पादन बढ़ोतरी जैसे लाभ ले सकते हैं. इससे रासायनिक दवाओं पर खर्च भी कम होता है.
3. मिट्टी सुधारने में बेहद कारगर
नीम की पत्तियां और नीम खली मिट्टी में मिलाने से मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ता है, पोषक तत्व लंबे समय तक टिकते हैं, कीट और फफूंद रोग कम होते हैं और इससे खेत की सेहत साल-दर-साल बेहतर होती जाती है.
4. पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान
नीम का पेड़ सिर्फ खेती और आय का साधन ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक वातावरण का मजबूत रक्षक भी माना जाता है. यह अपने मजबूत तने और घनी पत्तियों के कारण हवा को शुद्ध करता है और वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को तेजी से अवशोषित करता है. नीम के पेड़ पर कई तरह के पक्षी अपना घोंसला बनाते हैं, छोटे जीव-जंतु इसे सुरक्षित आवास के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे आसपास की जैव विविधता भी बढ़ती है. इतना ही नहीं, नीम अपनी विस्तृत जड़ प्रणाली के कारण मिट्टी को मजबूती देता है और बारिश के दौरान भूमि के कटाव को प्रभावी रूप से रोकता है. इसी वजह से गांवों, खेतों और सड़कों के किनारे नीम को पर्यावरण संतुलन का स्वाभाविक प्रहरी माना जाता है.