HAU की उन्नत मूंग किस्में देंगी बंपर उपज, किसानों की बढ़ेगी कमाई

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने मूंग की दो नई किस्में विकसित की हैं जो आम बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक हैं और अधिक उपज देती हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 9 Apr, 2025 | 07:54 PM

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में मूंग की दो नई और उन्नत किस्मों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है. विश्वविद्यालय ने मूंग की इन किस्मों लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए राजस्थान की स्टार एग्री सीड्स कंपनी के साथ दो महत्वपूर्ण समझौतें यानी (एमओयू) साइन किए किए हैं. इन समझौतों का उद्देश्य विश्वविद्यालय के माध्यम से मूंग की दो किस्मों एमएच 1762 और एमएच 1772 को विकसित करना और जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाना है. यह कदम खासतौर पर उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो मूंग की खेती को व्यावसायिक तौर पर अच्छे क्वालिटी के बीज से मूंग की खेती कर अपनी उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं.

60-67 दिनों में पककर तैयार होते है ये किस्म

एमएच 1762 और एमएच 1772 दोनों किस्मों की खासियत यह है कि ये मूंग की आम बीमारियों, जैसे पीला मोजेक, के प्रति प्रतिरोधक हैं. इसके साथ ही इनकी उपज भी सामान्य किस्मों से कहीं अधिक है. एमएच 1762 किस्म को भारत के पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में वसंत और गर्मी के बीच के मौसम में बोने के लिए सही माना गया है, जबकि एमएच 1772 किस्म को खरीफ मौसम में पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में उगाने के लिए बेहतर माना गया है.

एमएच 1762 मूंग – यह किस्म लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं जिनका रंग चमकीला हरा होता है. इनका औसत उत्पादन 14.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जो सामान्य किस्मों से 10-15 प्रतिशत अधिक है. वहीं, मूंग की एमएच 1772 किस्म करीब 67 दिनों में पककर तैयार होती है और इसका औसत उत्पादन 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह भी सामान्य किस्मों की तुलना में बेहतर परिणाम देती है.

बीमारियों से लड़ने में सक्षम

इन दोनों किस्मों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये मूंग की आम बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी हैं. इसके साथ ही इनकी उपज में भी 10-15 प्रतिशत तक वृद्धि होती है. एमएच 1762 और एमएच 1772 किस्मों को बेहतर प्रबंधन के साथ की जाएं तो यह और भी अच्छे परिणाम दें सकती हैं.

किसानों तक बीज पहुंचाएगी स्टारी एग्री

इन दोनों किस्मों को किसानों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय और स्टार एग्री सीड्स कंपनी के बीच हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इन समझौतों के तहत, कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस शुल्क का भुगतान करेगी और इसके बदले उसे बीज का उत्पादन और विपणन करने का अधिकार मिलेगा. इसका मतलब है कि इन बीजों का उत्पादन अब बड़े पैमाने पर किया जाएगा और किसान इन्हें आसानी से प्राप्त कर सकेंगे. जिसे न केवल किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध होंगे, बल्कि उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी सुधार होगा. इन किस्मों के बीजों का वितरण जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा, जिससे किसान फसलों की अधिक पैदावार कर, मुनाफा कम सकेंगे.

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Published: 9 Apr, 2025 | 07:54 PM

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