अगर आप सब्जी मंडी जाते हैं तो अक्सर सुनते होंगे “आज प्याज महंगा हो गया है”. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस प्याज के दाम ग्राहकों को भारी लगते हैं, उसी प्याज से किसान को असली मुनाफा नहीं मिलता. ताजा मामला बांग्लादेश का है. वहां की सरकार ने भारत से प्याज आयात की अनुमति दी है, जिसके बाद नासिक और महाराष्ट्र के बाजारों में प्याज की कीमतें लगभग दोगुनी हो गईं. फिर भी किसानों को लागत से कम दाम मिल रहे हैं.
बांग्लादेश का फैसला और असर
द वीक की खबर के अनुसार, 14 अगस्त से 13 दिसंबर तक बांग्लादेश भारत से प्याज आयात करेगा. इस खबर ने बाजार में हलचल मचा दी. नासिक और लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतें 800-1200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1500-1600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं. किसानों को थोड़ी राहत मिली, लेकिन यह कीमत अब भी लागत से काफी नीचे है.
लागत ज्यादा, दाम कम
प्याज की खेती कोई आसान काम नहीं है. बीज, खाद, मजदूरी, पानी और भंडारण, इन सबको जोड़ें तो एक क्विंटल प्याज की लागत करीब 2200 रुपये पड़ती है. लेकिन लंबे समय से किसानों को सिर्फ 800 से 1200 रुपये मिल रहे थे. यानी हर क्विंटल पर सीधा घाटा. कीमतें बढ़ीं जरूर, मगर अब भी किसान बराबरी पर नहीं पहुंच पाए हैं.
लासलगांव का रोल
नासिक जिले का लासलगांव एशिया का सबसे बड़ा प्याज बाजार है. यहां की बोली पूरे देश और पड़ोसी देशों के बाजार को प्रभावित करती है. जब यहां दाम गिरते हैं तो पूरे देश में असर दिखता है. फिलहाल, बांग्लादेश आयात के कारण यहां थोड़ी तेजी आई है, लेकिन किसानों की उम्मीदें और भी बड़ी हैं.
किसानों की उम्मीदें
किसानों का कहना है कि अगर घरेलू बाजार और निर्यात के बीच संतुलन बनाया जाए, तो उन्हें सही दाम मिल सकता है. प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले का मानना है कि सरकार को निर्यात बढ़ाने और किसानों की लागत घटाने पर ध्यान देना चाहिए. तभी प्याज की खेती फिर से लाभकारी बन पाएगी.
सरकारी कदमों की जरूरत
किसानों का कहना है कि सिर्फ निर्यात की अनुमति से समस्या हल नहीं होगी. उन्हें प्याज के भंडारण और परिवहन पर भी सरकार से मदद चाहिए. अक्सर सही गोदाम न होने के कारण प्याज जल्दी खराब हो जाती है और किसान मजबूरी में कम दाम पर बेच देते हैं. अगर आधुनिक कोल्ड स्टोरेज और मंडियों में पारदर्शी व्यवस्था हो जाए, तो किसानों को अपनी मेहनत का असली मोल मिल सकेगा.