Agriculture News: केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत में कई प्राचीन फसलों की किस्में थीं, जो पोषण के लिहाज से बेहद फायदेमंद थीं. लेकिन समय के साथ ये लगभग खत्म होती जा रही थीं. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में हमारे मेहनती किसानों ने इन किस्मों को बचाने का काम किया है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि बीज किसान का मौलिक अधिकार है, क्योंकि बीज के बिना खेती असंभव है. उन्होंने कहा कि आज नई-नई बीज किस्में आ रही हैं और किसान बीज बदलने लगे हैं. लेकिन यह भी जरूरी है कि पुराने और नए बीजों के बीच सही संतुलन बनाया जाए, ताकि परंपरागत और आधुनिक दोनों किस्में टिक सकें.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण कानून है. उन्होंने कहा कि इस कानून के बारे में किसानों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि वे इसका पूरा लाभ उठा सकें. मंत्री ने सुझाव दिया कि किसानों की फसल किस्मों और बीजों का समय पर पंजीकरण होना चाहिए. साथ ही, छोटे किसानों और स्वदेशी बीज विकसित करने वालों का मनोबल बढ़ाने के लिए नियमों को सरल बनाया जाए और इस अधिनियम को अन्य कृषि कानूनों के साथ समन्वयित किया जाए.
ज्ञान और खेती में नवाचार को बढ़ावा दिया
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने ये बातें दिल्ली के पूसा में पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) के स्थापना दिवस पर कहीं. उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने ‘प्लांट जीनोम सेवियर अवार्ड सेरेमनी’ में उन किसानों को सम्मानित किया, जिन्होंने जैव विविधता के संरक्षण, पारंपरिक ज्ञान और खेती में नवाचार को बढ़ावा दिया है.
इन लोगों ने लिया हिस्सा
कार्यक्रम में देशभर से चुने गए प्रगतिशील किसानों, समुदायों और संस्थानों को ‘प्लांट जीनोम सेवियर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. पुरस्कार पाने वालों में तमिलनाडु के ईश्वरी कोऑपरेटिव, पश्चिम बंगाल के संथाली कृषक समुदाय, मणिपुर के पी. देवकांता, राजस्थान के महावीर सिंह आर्य, उत्तर प्रदेश के जय प्रकाश सिंह, पश्चिम बंगाल के प्रवात रंजन डे और तनमयी चक्रवर्ती, हिमाचल प्रदेश के रोशन लाल शर्मा, छत्तीसगढ़ के तुलसीदास साव और शिवनाथ यादव, गुजरात के संदीप ब्रह्म भट्ट, महाराष्ट्र के सुनील महादू कमाड़ी, कर्नाटक के शंकर लंगती और सैयद गनी खान, केरल के सी.बी. जॉर्ज, असम के मानिक सैकिया और सुरेन बोरा, तथा पंजाब के सुभाष चंद्र मिश्रा शामिल रहे.
ये मंत्री रहे मौजूद
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, ICAR के महानिदेशक डॉ. मांगीलाल जाट, PPVFRA के चेयरमैन डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, रजिस्ट्रार जनरल डॉ. डी.के. अग्रवाल, रजिस्ट्रार डी.आर. चौधरी, कई प्रगतिशील किसान और वैज्ञानिक मौजूद थे.