अर्ली ब्लाइट से आलू की फसल बचाने की पूरी जानकारी, बीज से लेकर भंडारण तक

अर्ली ब्लाइट की शुरुआत आलू के निचले पत्तों पर छोटे-छोटे काले धब्बों से होती है जिनके चारों ओर गोल-गोल घेरे बने होते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे बड़े होकर गहरे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 2 May, 2025 | 08:29 AM

आलू एक बहुत ही जरूरी फसल है जिसे दुनिया भर में बड़ी मात्रा में खाया जाता है. लेकिन ये फसल कई बीमारियों की चपेट में आ सकती है, जिनमें से एक आम और नुकसानदायक बीमारी है अर्ली ब्लाइट, जिसे Alternaria solani नामक फंगस फैलाता है. यह बीमारी पत्तियों, तनों और आलू की गांठों (ट्यूबर) को प्रभावित करती है, जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों में गिरावट आती है. लेकिन अगर समय रहते इसे पहचाना और सही उपाय किए जाएं, तो किसान इससे अपनी फसल को बचा सकते हैं. तो आइए जानते हैं कैसे बचाएं अपनी आलू की फसल.

नियमित निगरानी और पहचान

अर्ली ब्लाइट की शुरुआत आलू के निचले पत्तों पर छोटे-छोटे काले धब्बों से होती है जिनके चारों ओर गोल-गोल घेरे बने होते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे बड़े होकर गहरे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं और पत्तियां पीली होकर झड़ने लगती हैं. अगर आप फसल की नियमित जांच करते हैं तो बीमारी की शुरुआत में ही इसे पकड़ सकते हैं, जो इलाज के लिए बहुत जरूरी है.

फसल चक्र

फसल बदल-बदल कर बोने से बीमारी फैलाने वाले फंगस का चक्र टूटता है. आलू के स्थान पर ऐसे पौधे लगाएं जो अर्ली ब्लाइट से प्रभावित नहीं होते जैसे कि दालें या अनाज. इससे फंगस को जिंदा रहने के लिए जरूरी पौधा नहीं मिलेगा और उसका असर कम हो जाएगा.

स्वस्थ बीज का चयन

बीज ही बीमारी का बड़ा स्रोत हो सकता है. इसलिए हमेशा प्रमाणित और रोगमुक्त बीजों का उपयोग करें. बोने से पहले बीजों को ध्यान से देखें, अगर किसी में बीमारी के लक्षण या सड़न हो, तो उसे न लगाएं.

पौधों की सही दूरी और साफ-सफाई

पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखना और सड़े-गले पत्तों को हटा देना बहुत जरूरी है. इससे हवा का प्रवाह अच्छा रहेगा और नमी कम होगी, जो फंगस के फैलने के लिए जरूरी होती है. बारिश या सिंचाई के बाद पत्ते जल्दी सूख जाएंगे और बीमारी का खतरा कम होगा.

सिंचाई और पानी का प्रबंधन

अर्ली ब्लाइट को नमी बहुत पसंद है. इसलिए जरूरी है कि पानी इस तरह दिया जाए कि जमीन तो गीली रहे लेकिन पत्तों पर पानी जमा न हो. इसके लिए ड्रिप सिंचाई (drip irrigation) या जमीन में सीधा पानी देना बेहतर तरीका है, बजाय ऊपर से छिड़काव के.

फफूंदनाशक का इस्तेमाल

अगर बीमारी का खतरा हो या लक्षण दिखने लगें, तो फफूंदनाशकों का सही समय पर छिड़काव करना फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें ताकि सही दवा, मात्रा और समय का चुनाव हो सके.

कटाई के बाद सावधानी

जब आलू की खुदाई हो जाए, तो उन्हें अच्छी तरह सूखने दें और तभी भंडारण करें. किसी भी सड़े-गले आलू को अलग करें. भंडारण स्थान ठंडा, सूखा और हवादार होना चाहिए ताकि आलू लंबे समय तक खराब न हों और बीमारी आगे न फैले.

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