पथरी तक गला सकती है यह दाल, जानें कितना पुराना इसका इतिहास?

कुल्थी की दाल जिसे हॉर्स ग्राम भी कहा जाता है, बहुत ही पुरानी दाल है. इसे दुनिया की सबसे पुरानी दालों में से एक माना जाता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 7 Jun, 2025 | 03:25 PM

भारतीय रसोई में भोजन की थाली दाल के बिना अधूरी होती है. देश में तरह-तरह की दालें मौजूद हैं, जो प्रोटीन से भरपूर होती हैं. इन दालों में अरहर, चना, मूंग, मसूर, उड़द आदि. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐक ऐसी दाल भी है जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. यह दाल न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है.

इस दाल को लेकर ऐसा दावा किया जाता है कि इससे किडनी की पथरी तक ठीक हो सकती है. इस दाल का नाम है कुल्थी दाल है. आयुर्वेद में भी इसके औषधीय गुणों का जिक्र है. चलिए जानते हैं कुल्थी के दाल के बारे में प्रमुख जानकारियां.

कुल्थी दाल का इतिहास
इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार कुल्थी की दाल जिसे हॉर्स ग्राम भी कहा जाता है, बहुत ही पुरानी दाल है. इसे दुनिया की सबसे पुरानी दालों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि कुल्थी की दाल का इतिहास गंगा बेसिन सभ्यता और वैदिक सभ्यता से भी पुराना है. हड़प्पा की खुदाई के दौरान इससे जुड़ी कुछ जानकारियां मिली थीं.

कुल्थी की दाल के फायदे
कुल्थी की दाल को सबसे ज्यादा पथरी के मरीजों के लिए उपयोगी माना जाता है. अन्य दालों के मुकाबले कुल्थी की दाल में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह दाल पोषक तत्वों से भरपूर है, दावा किया जाता है कि ये किडनी की पथरी तक को ठीक कर सकती है.

कुल्थी में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और फाइबर काफी ज्यादा मात्रा में होता है. आयुर्वेद के अनुसार, कुल्थी की दाल खाने से स्टोन की समस्या से निजात मिलने के साथ, कोलेस्ट्रॉल और वजन घटाने में काफी फायदा होता है.

सुपरफूड है ये दाल
माना जाता है कि ये दाल बीते करीब 10 हजार सालों से भारतीय उपमहाद्वीप में भोजन का हिस्सा है. भारत में इस दाल को ‘गरीबों की दाल’ के नाम से जाना जाता है.

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