इस बार चीनी की महंगी कीमतों से उपभोक्ताओं को दो-चार नहीं होना पड़ेगा. दरअसल, चीनी इंडस्ट्री के शीर्ष ट्रेड निकाय इस्मा के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर चीनी उत्पादन आंकड़ा 257.44 लाख टन तक के पार पहुंच गया है. घरेलू खपत, निर्यात और एथेनॉल के लिए डायवर्जन के बाद भी 52-53 लाख टन चीनी का स्टॉक बचा रहेगा. इस्मा के अनुसार तमिलनाडु में अभी भी दो चीनी मिलें चालू हैं. सबसे ज्यादा चीनी उत्पादन उत्तर प्रदेश ने किया है. उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात का नंबर है.
भारतीय शुगर बायो एनर्जी एंड मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन (ISMA) ने चीनी उत्पादन अपडेट में 15 मई 2025 तक के आंकड़े जारी किए हैं. इस्मा के अनुसार चालू 2024-25 चीनी सीजन में चीनी उत्पादन 257.44 लाख टन तक पहुंच गया है, जिसमें देश भर में दो चीनी मिलें वर्तमान में चालू हैं. ये दो चालू मिलें तमिलनाडु में स्थित हैं, जहां मुख्य पेराई सीजन अभी भी चल रहा है. कहा गया है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु में कई मिलों के विशेष पेराई सीजन जून-सितंबर 2025 के दौरान फिर से शुरु होने की उम्मीद है.
यूपी चीनी उत्पादन में सबसे आगे
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 92.76 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है. महाराष्ट्र में 80.95 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है. इसी तरह कर्नाटक में 40.40 लाख टन और गुजरात में 8.92 लाख टन चीनी उत्पादन दर्ज किया गया है. इसके अलावा तमिलनाडु में 4.84 लाख टन चीनी का उत्पदान हुआ है. अन्य राज्यों में 29.57 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है.
खपत-निर्यात और डायवर्जन के बाद भी खूब स्टॉक रहेगा
इस्मा के अनुसार 2024-25 चीनी सीजन के लगभग 261 से 262 लाख टन शुद्ध चीनी उत्पादन के साथ समाप्त होने का अनुमान है. इसमें मध्य मई तक उत्पादित 257.44 लाख टन और तमिलनाडु और कर्नाटक में विशेष पेराई सत्र से अनुमानित 4 से 5 लाख टन चीनी शामिल है. चीनी सीजन की शुरुआत 80 लाख टन के शुरुआती स्टॉक के साथ हुई थी. 280 लाख टन की अनुमानित घरेलू खपत और 9 लाख टन तक के निर्यात अनुमानों को देखते हुए अंतिम स्टॉक लगभग 52-53 लाख टन रहने की संभावना है. वहीं, 30 अप्रैल 2025 तक की आपूर्ति के अनुसार चालू सीजन के दौरान लगभग 27 लाख टन चीनी इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट की गई है. बाकी सीजन में अतिरिक्त 6 से 7 लाख टन डायवर्ट किए जाने की उम्मीद है.
उपभोक्ताओं के लिए कीमतें नरम रहेंगी
इस्मा के अनुसार चीनी की घरेलू खपत और निर्यात के साथ ही एथेनॉल के लिए डायवर्जन के बाद भी चीनी का 52-53 लाख टन स्टॉक देश में बना रहेगा. यह आरामदायक बफर स्टॉक है और इससे यह पक्का होता है कि देश में अपनी घरेलू चीनी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त चीनी स्टॉक है. ऐसे में इस बार चीनी की महंगी कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं को परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी.
अगले सीजन में अच्छे उत्पादन की उम्मीद
इस्मा ने कहा कि 2025-26 चीनी सीजन के दौरान प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में कई सकारात्मक विकासों से उत्साहित होकर आशाजनक रूप ले रहा है. दक्षिणी राज्यों विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में 2024 में अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते गन्ना की बुवाई में सुधार हुआ है. गन्ने की अच्छी उपलब्धता के चलते अक्टूबर 2025 में पेराई सीजन की समय पर शुरुआत के लिए मंच तैयार है. वहीं, उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी क्षेत्र में गन्ने की पैदावार में बढ़त और चीनी की रिकवरी दर में सुधार होने की उम्मीद है. इस सकारात्मक गति को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और स्काईमेट दोनों के जलवायु पूर्वानुमानों से भी बल मिला है.