कॉसमॉस के बीज तब बोएं जब सर्दी पूरी तरह चली जाए और मिट्टी हल्की गर्म हो जाए. उत्तर भारत में ये समय मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में होता है. इसे आप सीधे जमीन में या फिर पहले बीज ट्रे में बोकर पौधा तैयार कर सकते हैं.
बीज को हल्के से मिट्टी में 1/8 इंच तक दबाएं, ऊपर से हल्की मिट्टी और वर्मीक्यूलाइट डालें, और फिर धीरे से पानी दें. अंकुर निकलने के बाद पौधों को 12 से 24 इंच की दूरी पर रखें ताकि उन्हें फैलने की जगह मिल सके.
कॉसमॉस की कई किस्में बाजार में मिलती हैं. कॉस्मोस बिपिन्नाटस में गुलाबी, सफेद और बैंगनी रंग के फूल होते हैं, जबकि कॉस्मोस सल्फरियस में पीले और नारंगी रंग और चॉकलेट कॉस्मोस खासतौर पर अपने चॉकलेटी रंग और हल्की खुशबू के लिए मशहूर हैं.
इस पौधे को दिन में कम से कम 6 घंटे की सीधी धूप की जरूरत होती है. मिट्टी ज्यादा भारी न हो, और पानी आसानी से निकल सके. अगर आपकी मिट्टी बहुत रेतीली है, तो उसमें खाद या कंपोस्ट मिलाकर सुधारें.
कॉसमॉस को ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती. बस इतना ध्यान रखें कि मिट्टी की नमी बनी रहें. यह पौधा एक बार जम जाए तो यह थोड़ी सूखी परिस्थितियों को भी झेल सकता है.
जब पौधा 12 इंच का हो जाए, तब आप कुछ पत्तियों की छंटाईं कर सकते हैं. कॉसमॉस के फूलों को फूलदान में सजाने के लिए सिंगल किस्म के फूलतो तब तोड़े रंग दिखाने लगें और डबल किस्म के फूल तब जब वे आधे खिले हों.