गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के दस रौद्र रूपों, काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भैरवी, बगलामुखी आदि की साधना की जाती है. यह साधना तंत्र और सिद्धि की दृष्टि से बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. हालांकि, ये शक्तियां अत्यंत शक्तिशाली होती हैं, इसलिए बिना किसी अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के गृहस्थ लोगों को इनकी साधना से बचना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में साधक को पूर्ण सात्विकता का पालन करना चाहिए. मांसाहार, मदिरा, प्याज-लहसुन जैसे तामसिक तत्वों से दूरी बनाना आवश्यक है. ब्रह्मचर्य का पालन, ध्यान, योग और मंत्र जाप से मन की शुद्धि होती है और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इस पावन समय में दुर्गा सप्तशती, अर्गला स्तोत्र, कवच और दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से साधक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. यह पाठ आत्मबल बढ़ाता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है. विशेष रूप से रात्रि में किया गया पाठ अत्यंत फलदायी होता है.
गुप्त नवरात्रि का समय राहु, केतु और शनि जैसे दुष्प्रभावी ग्रहों की शांति के लिए बहुत शुभ माना गया है. इस दौरान विशेष उपायों व पाठों के माध्यम से ग्रहों के कुप्रभाव को कम किया जा सकता है. जिन लोगों की कुंडली में इन ग्रहों की बाधा है, उनके लिए यह समय विशेष फलदायक होता है.
इस नवरात्रि में साधक को काम, क्रोध और वासना जैसे विकारों पर नियंत्रण रखना चाहिए. बाल व नाखून काटना, स्त्रियों का अपमान करना और घर में कलह करना वर्जित माना गया है. मन को शांत और स्थिर रखने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि में छोटी कन्याओं को भोजन व उपहार देकर पूजन करने से देवी प्रसन्न होती हैं. साथ ही, दीपदान करना, गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना और गुप्त रूप से ध्यान करना विशेष पुण्यदायी होता है. (Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां दी गई किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की Kisan India पुष्टि नहीं करता है.)