बरसात के बाद गमलों की मिट्टी बहुत गीली और चिपचिपी हो जाती है, जिससे जड़ों में सड़न का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में गमले को कुछ समय के लिए सीधी धूप में रखें ताकि अतिरिक्त नमी सूख जाए. साथ ही, सुनिश्चित करें कि गमले में पर्याप्त ड्रेनेज हो.
बारिश में मिट्टी से जरूरी पोषक तत्व बह जाते हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता. बरसात के बाद महीने में एक बार गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या कम्पोस्ट चाय का इस्तेमाल करें. इससे पौधों की जड़ें मजबूत होंगी और उनकी वृद्धि तेजी से होगी.
बरसात में खरपतवार बहुत तेजी से बढ़ते हैं और पौधों के साथ पोषक तत्व और पानी के लिए मुकाबला करते हैं. इन्हें नियमित रूप से हटाने से पौधों को पर्याप्त पोषण, हवा और जगह मिलती है. इससे जड़ें मजबूत होती हैं और पौधे स्वस्थ और हरे-भरे रहते हैं.
बरसात के मौसम में पौधों की शाखाएं अनियंत्रित बढ़ जाती हैं या कुछ शाखाएं सूख जाती हैं. इस स्थिति में पौधों की नियमित छंटाई जरूरी है. खराब या पीली पत्तियों और शाखाओं को हटाने से पौधों की ऊर्जा नई और स्वस्थ शाखाओं को बढ़ाने में लगती है और हवा का संचार भी बेहतर होता है.
गीले और नम वातावरण में कीट और फफूंदी बहुत जल्दी फैलते हैं. पौधों पर लगातार निगरानी रखें और किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत नीम के तेल का स्प्रे करें. नीम का तेल प्राकृतिक कीटनाशक है और पौधों को नुकसान पहुंचाए बिना कीटों को दूर रखता है.
बरसात के बाद पानी देने का तरीका बदलना जरूरी है. केवल तब पानी दें जब मिट्टी की ऊपरी परत सूख जाए. सुबह के समय पानी देना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि दिन की गर्मी से अतिरिक्त पानी भाप बनकर उड़ जाता है और रात में नमी के कारण फफूंदी का खतरा कम रहता है.