भैंस पालन की सोच रहे हैं तो इन 5 नस्‍लों को नजरअंदाज मत करिएगा!

भैंस पालन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्‍सा है. भैंस, दूध उत्पादन के अलावा, मांस के लिए भी प्रयोग भी होती है. भैंस के दूध की कीमत भी ज्‍यादा होती है क्योंकि इसमें सात से 7.5 प्रतिशत तक फैट होता है. भारत में भैंसों की करीब 10 स्वदेशी मानक नस्लें हैं जो अपने दूध देने के गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं. एक नजर इनमें से ही 5 मशहूर नस्‍लों पर. 

Kisan India
Updated On: 28 Feb, 2025 | 06:31 PM
1 / 5मुर्रा  यह भैंसों की सबसे महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है जो हरियाणा के रोहतक, हिसार के साथ ही  जींद और पंजाब के नाभा और पटियाला जिले हैं. मुर्रा  भैंस को दुनिया में सबसे अच्छा दूध उत्पादक माना गया है. एक मुर्रा भैंस आम तौर पर प्रतिदिन 10 से 16 लीटर दूध देती है, लेकिन कुछ भैंसें 16 लीटर से अधिक दूध दे सकती हैं.

मुर्रा यह भैंसों की सबसे महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है जो हरियाणा के रोहतक, हिसार के साथ ही जींद और पंजाब के नाभा और पटियाला जिले हैं. मुर्रा भैंस को दुनिया में सबसे अच्छा दूध उत्पादक माना गया है. एक मुर्रा भैंस आम तौर पर प्रतिदिन 10 से 16 लीटर दूध देती है, लेकिन कुछ भैंसें 16 लीटर से अधिक दूध दे सकती हैं.

2 / 5सुरती इस भैंस का संबंध दक्षिण पश्चिमी गुजरात में कैरा और बड़ौदा जिले से है. यह 900 से 1300 लीटर तक का दूध अपने जीवनकाल में देती है.  इस नस्ल की खासियत है कि दूध में वसा का उच्च प्रतिशत आठ से 12 प्रतिशत तक होता है.

सुरती इस भैंस का संबंध दक्षिण पश्चिमी गुजरात में कैरा और बड़ौदा जिले से है. यह 900 से 1300 लीटर तक का दूध अपने जीवनकाल में देती है. इस नस्ल की खासियत है कि दूध में वसा का उच्च प्रतिशत आठ से 12 प्रतिशत तक होता है.

3 / 5जाफराबादी भैंस की यह प्रजाति गिर के जंगलों में पाई जाती है. जबकि गुजरात के कच्छ और जामनगर जिलों में इनका प्रजनन क्षेत्र है. इनका माथा बहुत उभरा हुआ, बीच में थोड़ा गड्ढा वाला चौड़ा होता है. सींग भारी होते हैं, गर्दन के दोनों तरफ लटकते हैं.

जाफराबादी भैंस की यह प्रजाति गिर के जंगलों में पाई जाती है. जबकि गुजरात के कच्छ और जामनगर जिलों में इनका प्रजनन क्षेत्र है. इनका माथा बहुत उभरा हुआ, बीच में थोड़ा गड्ढा वाला चौड़ा होता है. सींग भारी होते हैं, गर्दन के दोनों तरफ लटकते हैं.

4 / 5मेहसाणा  मेहसाणा, भैंस की एक डेयरी नस्ल है जो गुजरात के मेहसाणा क्षेत्र और उससे सटे महाराष्‍ट्र राज्य में पाई जाती है. इसके शरीर का अधिकांश भाग काला होता है. लेकिन कुछ भैंस काले-भूरे रंग की भी होती हैं. यह भैंस औसतन 1988 लीटर तक दूध देती है.

मेहसाणा मेहसाणा, भैंस की एक डेयरी नस्ल है जो गुजरात के मेहसाणा क्षेत्र और उससे सटे महाराष्‍ट्र राज्य में पाई जाती है. इसके शरीर का अधिकांश भाग काला होता है. लेकिन कुछ भैंस काले-भूरे रंग की भी होती हैं. यह भैंस औसतन 1988 लीटर तक दूध देती है.

5 / 5चिलिका भैंस की यह प्रजाति चिलिका झील के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है और यह उड़ीसा के पुरी, खुर्दा और गंजम जिलों में पाई जाती है. यह भैंस खारे और तटीय परिस्थितियों में उगने वाली वनस्पतियों को खाकर जिंदा रह सकती है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. यह भैंस औसतन 500 लीटर तक दूध देती है.

चिलिका भैंस की यह प्रजाति चिलिका झील के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है और यह उड़ीसा के पुरी, खुर्दा और गंजम जिलों में पाई जाती है. यह भैंस खारे और तटीय परिस्थितियों में उगने वाली वनस्पतियों को खाकर जिंदा रह सकती है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. यह भैंस औसतन 500 लीटर तक दूध देती है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 28 Feb, 2025 | 06:30 PM

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?