फसल बुवाई से कटाई तक इन फायदों के चलते बढ़ा ड्रोन इस्तेमाल, आप भी जान लें

एग्रीटेक कंपनी मारुत ड्रोन के सीईओ ने 'किसान इंडिया' को बताया कि कृषि को आधुनिक और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महाराष्ट्र में 325 महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि ड्रोन से लैस किया गया है.

रिजवान नूर खान
Noida | Updated On: 13 Mar, 2025 | 05:34 PM

किसानों के बीच ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. ड्रोन की मदद से महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाड़ा इलाकों में फसल में दवा छिड़काव में इस्तेमाल होने वाले पानी की लागत को 95 फीसदी तक घटा दिया है. जबकि, समय और इनपुट बर्बादी को भी काफी हद तक कम कर दिया है. राज्य सरकार ने भी बजट में ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना की घोषणा कृषि को आधुनिक बनाने और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है.

एग्रीटेक कंपनी मारुत ड्रोन के सीईओ और सह-संस्थापक प्रेम कुमार विस्लावत ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि बजट में नमो ड्रोन दीदी’ योजना की घोषणा कृषि को आधुनिक बनाने और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 325 महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि ड्रोन से लैस किया गया है. इस पहल से खेती को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र अहम कृषि क्षेत्र होने के नाते कृषि में ड्रोन तकनीक को अपनाने के लिए अधिक कुशल ड्रोन पायलटों की जरूरत है. महिलाओं को ड्रोन ट्रेनिंग देकर उन्हें सक्षम बनाया जा रहा है.

महिलाएं बन रहीं ड्रोन पायलट

ड्रोन पायलट ट्रेनिंग पाकर महिलाएं किसानों को ड्रोन-एज़-ए-सर्विस (DaaS) के जरिए ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराएंगी. इससे न केवल कृषि दक्षता बढ़ेगी है बल्कि ग्रामीण महिलाओं को प्रति माह 60,000 रुपये तक कमाने का मौका बनेगा. यह दूरदर्शी ड्रोन पहल अत्याधुनिक कृषि तकनीक समाधानों को अपनाने में तेजी लाएगी, जिससे महाराष्ट्र की खेती पद्धति अधिक टिकाऊ और लीचीली बन जाएगी. उन्होंने बताया कि ड्रोन में शुरुआती निवेश अधिक लग सकता है, लेकिन श्रम और इनपुट लागत में बचत उन्हें एक किफायती समाधान बनाती है. SMAM योजना सब्सिडी देकर और जागरूकता अभियान को बढ़ावा देकर ड्रोन तकनीक को अपनाने में मददगार साबित हो रही है.

मारुत ड्रोन से बच रहा 95 फीसदी पानी

सीईओ और सह-संस्थापक प्रेम कुमार विस्लावत ने बताया कि मारुत ड्रोन महाराष्ट्र में कृषि में क्रांति लाने के लिए बहु उपयोगी ड्रोन विकसित कर रहा है जो पूरे साल किसानों की मदद करते हैं. ड्रोन की AG365 श्रृंखला विशेष रूप से खेती के कामों को आसान बनाने और खेती में सुधार करने के लिए डिजाइन की गई है. ये ड्रोन किसानों को खतरनाक रसायनों के संपर्क से बचने, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 95% पानी बचाने और पारंपरिक तरीकों की तुलना में 90% कम समय में खेती के काम पूरे करने में मदद करते हैं. ड्रोन बिक्री और सेवा सहायता के लिए मारुत ड्रोन ने महाराष्ट्र में कई स्थानों पर डीलरों का एक मज़बूत नेटवर्क स्थापित किया है.

गन्ना, कपास, सोयाबीन में ड्रोन इस्तेमाल

महाराष्ट्र के किसान कृषि में कई चुनौतियों से निपटने के लिए तेजी से ड्रोन तकनीक को अपना रहे हैं. यह बदलाव बेहतर फसल पैदावार, कम श्रम निर्भरता, इनपुट के सटीक इस्तेमाल को आसान बनाती है. ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल केला, कपास और गन्ने जैसी नकदी फसलों की खेती करने वाले किसान खूब कर रहे हैं. गन्ने जैसी लंबी और घनी फसलों में ड्रोन तकनीक से छिड़काव काफी आसान हो जाता है. खासकर इनपुट फैलाने, बर्बादी को कम करने में मदद मिलती है. ड्रोन से 12-15 फीट की ऊंचाई पर छिड़काव करने में आसानी होती है.

ड्रोन इस्तेमाल करने वाले महाराष्ट्र के प्रमुख क्षेत्र

पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ने की खेती होने के चलते ड्रोन तकनीक से आसान हो जाता है. फसल कटाई से पहले गन्ने में होने वाले रोग एफिड संक्रमण को नियंत्रित करने में ड्रोन से आसानी मिल रही है. जबकि, मराठवाड़ा इलाके में सोयाबीन उगाने वाले किसान इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. उत्तरी महाराष्ट्र में केला और कपास उत्पादकों ने सटीक छिड़काव और फसल प्रबंधन के लिए ड्रोन को अपनाया है. विदर्भ में किसान खास तौर पर कपास उगाने वाले किसान किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से समर्थन के जरिए ड्रोन अपना रहे हैं.  ड्रोन का इस्तेमाल क्षेत्र और फसल के प्रकार के हिसाब से अलग-अलग हैं.  लेकिन,  महाराष्ट्र ने कई अन्य राज्यों की तुलना में ड्रोन तकनीक अपनाने की दर ज्यादा देखी जा रही है.

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Published: 13 Mar, 2025 | 05:23 PM

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